भोपाल- छात्रों छात्राओं के ख़ुदकुशी करने जैसे कदम को रोकने के लिए सरकार द्वारा अहम कदम उठाया जा रहा है ! जिसके तहत प्रायवेट स्कूलों ने पिछले तीन सालों में किन-किन छात्र-छात्राओं को टीसी दी। सभी का रिकॉर्ड सरकार ने तलब किया है। सरकार ऐसे मामलों की तह तक जाएगी कि आखिर 11 वीं में ही बच्चों ने टीसी क्यों ली। जांच में बच्चों के माता-पिता से बात की जाएगी कि उन्होंने स्वेच्छा से स्कूल बदला या स्कूल प्रबंधन की जोर जबरदस्ती के कारण टीसी ली। अब ऐसे मामलों में सरकार ने स्कूलों में पढ़ाई एवं रैंक का दबाव और छात्रों द्वारा की जा रही आत्महत्या की घटनाओं पर स्कूल संचालकों की जवाबदेही तय करने का फैसला किया है।
सरकार जल्दी ही मनोवैज्ञानिकों का पैनल बनाकर उन कारणों की तलाश कराएगी, जिनकी वजह से ऐसी घटनाएं हो रही हैं। शासन ने राजधानी के 10 बड़े निजी स्कूलों से छात्रों का ब्योरा तलब कर लिया है। स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री दीपक जोशी ने बुधवार को नवदुनिया से विशेष चर्चा में कहा कि सरकार निजी स्कूलों पर नकेल कसेगी। राजधानी के 10 बड़े स्कूलों से पिछले 3 साल का रिकॉर्ड मांगा गया है।
स्कूलों से पूछा गया है कि 9 वीं एवं दसवीं कक्षा में उनके यहां कितने बच्चे हैं। पिछले तीन साल के दौरान 9-10 वीं कक्षा के बाद कितने बच्चों ने स्कूल छोड़ा उनकी सूची दी जाए। स्कूल छोड़ने का कारण भी पूछा गया है। जोशी ने बुधवार को इस संबंध में भोपाल के जिला शिक्षा अधिकारी को निर्देश जारी किए हैं। शिक्षा राज्यमंत्री ने बताया कि छात्रों पर अभिभावकों, माहौल, पढ़ाई, फीस एवं स्कूल का प्रेशर बढ़ रहा है।
छात्रों की समस्याओं के निराकरण एवं उनकी काउंसिलिंग के लिए मनोवैज्ञानिकों का पैनल गठित किया जा रहा है। जोशी ने बताया कि उन्हें बच्चों के अभिभावकों से ऐसी शिकायतें मिली हैं कि निजी स्कूल अपना रिजल्ट सुधारने के चक्कर में कमजोर एवं औसत बच्चों पर स्कूल छोड़ने के लिए दबाव बनाते हैं। उन्हें टीसी देने की धमकी देते हैं, यह गलत परंपरा है। बच्चे यदि पढ़ाई में पिछड़ते हैं तो इसमें छात्रों के साथ शिक्षकों की भी गलती है। उन्होंने कहा कि जब सरकारी स्कूल में बच्चा फेल होकर भी पढ़ता है तो निजी स्कूलों में ऐसा क्यों नहीं हो सकता।