नई दिल्ली- उच्चतम न्यायालय ने आज न्यायमूर्ति आरएम लोढ़ा समिति की मंत्रियों को क्रिकेट प्रशासन से अलग करने सहित अन्य सिफारिशों का पालन करने में अनिच्छा के लिए बीसीसीआई की खिंचाई की ! शीर्ष अदालत ने कहा कि नेता शक्तियां प्राप्त करने के लिए इन पदों का हासिल करना चाहते हैं !
शीर्ष अदालत ने उन कुछ राज्य क्रिकेट संघों के प्रति भी नाराजगी जाहिर की जिन्होंने लोढा समिति के सामने फिर से सुनवाई की मांग की है ! अदालत ने कहा कि इन संघों को ‘‘अंतरराष्ट्रीय सुर्खियां” बटोरने वाली समिति की सिफारिशें लागू करने में देरी की अनुमति नहीं दी जा सकती !
प्रधान न्यायाधीश टी एस ठाकुर और न्यायमूर्ति एफएमआई कलीफुल्ला की पीठ ने कहा, ‘‘क्रिकेट में सुधारों के लिए हमने न्यायमूर्ति लोढ़ा समिति का गठन किया था जो अंतरराष्ट्रीय खबर थी ! पूरा विश्व इसे जानता था ! अब आप हमारे पास आते हैं और कहते हैं कि सिफारिशें पूरी तरह से अप्रत्याशित थी और आपसे सलाह नहीं की गयी ! आप क्या कर रहे थे?
क्या लिखित आमंत्रण का इंतजार कर रहे थे?” पीठ ने कहा कि उच्चतम न्यायालय फैसला करेगा कि हम कुछ प्रतिबंध के मुद्दों को फैसले के लिए वापस समिति के पास भेजें या नहीं, वह भी निश्चित समयावधि के लिए. लोढ़ा समिति एक महंगी समिति है !
बीसीसीआई की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता केके वेणुगोपाल ने जब नेताओं को अलग रखने की समिति की सिफारिश पर आपत्ति जताई तो पीठ ने सवाल किया, ‘‘आप वहां मंत्रियों को क्यों चाहते हैं?”
गौरतलब हो कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू करने को लेकर आ रही दिक्कतों के बारे में अदालत को बताया था। इसमें एक राज्य एक वोट की सिफारिश भी शामिल है।
प्रधान न्यायाधीश टी.एस ठाकुर और फकीर मोहम्मद इब्राहिम कलीफुल्ला की खंडपीठ ने कहा था कि महाराष्ट्र और गुजरात, दोनों के मिलकर सात वोट हैं। चार महाराष्ट्र और तीन गुजरात के। बीसीसीआई में इन क्रिकेट संघों के प्रतिनिधित्व का आधार ऎतिहासिक है ना कि भौगोलिक। गुजरात क्रिकेट संघ के अलावा गुजरात से ब़डौदा क्रिकेट संघ और सौराष्ट्र क्रिकेट संघ आते हैं और तीनों ही बीसीसीआई के स्थायी सदस्य हैं। बीसीसीआई में इन सभी के वोट हैं।