नई दिल्ली- सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पंजाब और हरियाणा सरकार को विधि अधिकारियों की निष्पक्ष एवं पारदर्शी तरीके से नियुक्ति के लिए संबंधित खोज समितियां गठित करने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि इन समितियों की अध्यक्षता राज्यों के कानून सचिवों द्वारा की जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी.एस. ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने अपने आदेश में कहा कि खोज समितियों द्वारा चुने गए नामों को पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को भेजा जाएगा।
न्यायालय ने कहा कि दोनों राज्यों की सरकारों को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की टिप्पणी को ध्यान में रखकर ही सरकारी कानून अधिकारियों की नियुक्ति करनी होगाी। सरकारी कानून अधिकारियों की मौजूदा नियुक्ति प्रक्रिया में खलल डाले बिना न्यायालय ने कहा कि सरकारी कानूनी अधिकारियों के चयन और नियुक्ति की पूरी प्रक्रिया योग्यता व प्रदर्शन के आधार पर निष्पक्ष और पारदर्शी होनी चाहिए।
न्यायालय ने कहा कि वकीलों की इस पद पर नियुक्ति के दौरान खोज समितियों को उनके प्रदर्शन का ध्यान रखना होगा। हालांकि न्यायालय ने पंजाब एवं हरियाणा के महाधिवक्ता को मेधा के आधार पर विधि अधिकारियों की नियुक्ति के लिए मंजूरी दे दी है। सरकारी कानून अधिकारियों की नियुक्ति के लिए प्रक्रिया निर्धारित करने के बाद न्यायालय ने कहा कि अन्य राज्य भी इस तरह की नियुक्तियों के लिए अपने नियमों में बदलाव कर सुधार करेंगे।
सर्वोच्च न्यायालय का यह आदेश पंजाब सरकार की उस याचिका पर आया है, जिसमें उसने पूर्ववर्ती सरकार द्वारा विधि अधिकारी के पद पर नियुक्त बृजेश्वर सिंह चहल को पद से हटाने के फैसले पर रोक लगा दी थी। सुनवाई के दौरान प्रदीप कुमार राजरिया ने हरियाणा में कानून अधिकारी की नियुक्ति का मुद्दा भी उठाया।