भोपाल- मप्र विधानसभा के 50 फीसदी विधायक डायबिटिक हैं। हाल ही में विधानसभा में कराए गए विधायकों के स्वास्थ्य परीक्षण में यह खुलासा हुआ है। अब सवाल यह उठ रहा है कि विधायकों को तनाव किस बात का है। चुनाव वो जीत चुके हैं तो क्या यह तनाव संगठन की ओर से आ रहा है। या कोई दूसरे किस्म का तनाव है।
कांग्रेस विधायक महेंद्रसिंह कालूखेड़ा कहते हैं कि विधायकों का काम चुनौती भरा तो है, वह भी ऐसी स्थिति में जब अफसर विधायकों के पत्रों का जवाब नहीं देते। जबकि विधायक को तो सीधा जनता को जवाब देना होता है। ऐसे में तनाव तो रहता है। ऐसे में विधायकों के स्वास्थ्य का सीरियस परीक्षण होना चाहिए। विधानसभा में तो फौरी तौर पर जांच की गई थी।
ज्ञात हो कि मध्यप्रदेश के विधायक सज्जन सिंह उईके की डायबिटीज से हुई मौत हुई थी जिसको लेकर सरकार और विपक्ष को चिंता में डाल दिया था । दोनों ही पक्ष विधायकों की सेहत को लेकर चिंतित थे जिसके चलते साल में एक बार स्वास्थ्य परीक्षण के हिमायती बने थे !
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्पष्ट किया था कि विधायक अपनी व्यस्तता के चलते छोटी बीमारियों को नजरअंदाज करते हैं जो बाद में बड़ा रूप ले लेती है। उईके को डायबिटीज थी और उन्होंने अपनी व्यस्तता के चलते स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दिया। शिवराज ने कहा था कि विधायकों को साल में एक बार आवश्यक रूप से स्वास्थ्य परीक्षण कराना चाहिए। उनकी बात का कार्यवाहक नेता प्रतिपक्ष बाला बच्चन ने भी समर्थन किया था।