नई दिल्ली- भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने बीसीसीआई को फटकार लगाते हुए कहा है कि आपने खेल के विकास के लिए कुछ नहीं किया। जब बीसीसीआई ने कोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि जस्टिस एमएल लोढ़ा कमेटी की रिपोर्ट को लागू नहीं किया जा सकता तो सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई के काम पर कड़े सवाल उठाए। बता दें कि मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार को होनी है।
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि एक राज्य को एक से ज्यादा वोट का अधिकार देने पर बीसीसीआई क्यों अड़ी हुई है? बीसीसीआई का काम देशभर में क्रिकेट को बढ़ावा देना है। मुंबई और गुजरात के अलावा दूसरे राज्य भी क्रिकेट को लेकर क्या कम उत्साहित हैं? अफ़सोस की आपने क्रिकेट को बढ़ावा देने के लिए कुछ भी नहीं किया है। इस प्रकार के कई सवालों पर घेरा और कहा कि ऐसा लगता है कि आपने आपस में ही फ़ायदे के लिए संस्था बना रखी है !
सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई जस्टिस लोढ़ा समिति ने बीसीसीआई में सुधार के लिए कई सुझाव दिए हैं। इनमें एक राज्य, एक वोट की सलाह दी गई है। साथ ही बीसीसीआई से मंत्रियों और सरकारी अधिकारियों को बाहर रखने की बात कही गई है। जस्टिस लोढ़ा बीसीसीआई में CAG को शामिल करना चाहते हैं जबकि बीसीसीआई इसका विरोध कर रही है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई से राज्य क्रिकेट संघ को दिए गए 5 साल के पैसे का हिसाब किताब मांगा है। बीसीसीआई RTI का भी विरोध कर रही है।
BCCI की पांच साल की रिपोर्ट के हवाले से चीफ जस्टिस ने कहा कि- बिहार, मणिपुर, मिजोरम और मेघालय को कोई पैसा नहीं दिया गया जबकि छतीसगढ को 2010-11 के बाद पैसा नहीं दिया गया। 11 ऐसे राज्य हैं जो पिछले पांच साल से फंड के लिए भी मांग रहे हैं। मध्य प्रदेश को पिछले पांच साल में एक पैसा भी नहीं दिया गया।
कोर्ट ने कहा कि आप खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों नजरअंदाज कर रहे हैं। जस्टिस लोढ़ा पैनल कोई छोटी कमेटी नहीं है, ये पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के नेतृत्व में बनी है और कोर्ट को इस पैनल पर पूरा विश्वास है। सुप्रीम कोर्ट में बीसीसीआई ने पांच साल की रिपोर्ट सौंपी है।