नई दिल्ली- राष्ट्रीय राजधानी में डीजल और पेट्रोल से चलने वाली टैक्सियों पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा लगाई गई रोक रविवार से लागू हो गई। कुछ टैक्सी मालिकों ने चेतावनी दी है कि इस प्रतिबंध से हताशा में टैक्सी व्यवसाय से जुड़े लोग आत्महत्या भी कर सकते हैं।
कैब चालकों ने इस फैसले को दमनकारी करार देते हुए कहा है कि यदि इसे बदला नहीं गया तो इसकी वजह से कई लोग आत्महत्या कर लेंगे। दिल्ली में 27 हजार से अधिक टैक्सी डीजल से चलती हैं। कैब चालकों ने आईएएनएस को बताया कि उन लोगों ने आपस में विचार-विमर्श करने के बाद विरोध अभियान शुरू करने का निर्णय लिया है।
उनका दावा है कि राष्ट्रीय राजधानी में लगभग आधी टैक्सी डीजल से चलती हैं। सेंट्रल दिल्ली के कुमार टैक्सी सर्विस के मालिक एस. कुमार ने आईएएनएस से कहा, “मैंने सुबह से 17 बुकिंग रद्द की हैं क्योंकि मेरी अधिकांश गाड़ियां डीजल से चलती हैं। मेरे पास सीएनजी से चलने वाली केवल पांच गाड़ियां हैं। हम लोग समझ नहीं पा रहे हैं कि अदालत और सरकार क्यों इस तरह के फैसले ले रही हैं?”
कुमार ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के शनिवार के फैसले से बहुत सारे टैक्सी संचालक आत्महत्या के बारे में सोचने लगेंगे क्योंकि वे अपनी कारों की अब किस्त नहीं दे पाएंगे।
उन्होंने कहा, “हम लोग अपनी कारों को खरीदने के लिए बैंकों से लिए गए कर्ज को कैसे चुका पाएंगे? सरकार यह समझ नहीं पा रही है कि डीजल कारें सीएनजी में नहीं बदली जा सकतीं।” सर्वोच्च न्यायालय ने शनिवार को टैक्सी संचालकों को अपने वाहनों को कंप्रेस्ड नेचुरल गैस (सीएनजी) में बदलने के लिए और समय देने से इनकार कर दिया। इसके लिए अदालत दो बार निर्धारित अंतिम तिथि को बढ़ा चुकी थी। शनिवार को इसकी अंतिम तिथि थी।
दिल्ली के परिवहन विभाग के अनुसार, शहर में करीब 60 हजार टैक्सियां पंजीकृत हैं। इनमें से 27 हजार डीजल से संचालित हैं। कुछ टैक्सी संचालकों का मानना है कि अदालत के आदेश से मुख्य रूप से ओला और उबर टैक्सी सेवा प्रभावित होंगी। कमल टैक्सी सर्विस के रमन ने आईएएनएस को बताया कि यह फैसला ऑल इंडिया टूरिस्ट परमिट वाली टैक्सियों पर लागू नहीं होगा। इससे ओला और उबर को बड़ा झटका लगने जा रहा है। उनकी अधिकतर गाड़ियां डीजल से ही चलती हैं।
उन्होंने भी कहा कि घोर निराशा में यदि टैक्सी मालिक और चालक आत्महत्या करें, तो प्रशासन को आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
दक्षिणी दिल्ली के एक टैक्सी मालिक प्रीतपाल सिंह ने कहा कि अखिल भारतीय परमिट वाली टैक्सियां भी जब बाहर का कोई काम नहीं होता है, तो अक्सर दिल्ली में ही चलती हैं। स्वयंसेवी संस्था में काम करने वाले पीयूष ने आईएएनएस से कहा कि उन्हें टैक्सी बुक करने में दो घंटे लग गए। उन्होंने कहा, “पहले मुझे बताया गया कि कोई कैब नहीं है। फिर उन्होंने कहा कि टैक्सी है तो लेकिन दो घंटे बाद उपलब्ध हो सकेगी। मेरे पास इंतजार करने के सिवाय कोई दूसरा रास्ता नहीं था।” अवकाश के कारण रविवार को आने-जाने वालों की संख्या सीमित होती है। असली परेशानी के सोमवार से शुरू होने की आशंका है।