मुंबई- आज एनआईए की टीम मुंबई पहुंची और कोर्ट में पूरक चार्जशीट दाखिल कर दी। एनआईए के डीजी शरद कुमार ने कहा कि साध्वी प्रज्ञा के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मकोका हटाया गया है।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी []NIA ने यहां शुक्रवार को एक विशेष अदालत के समक्ष सितंबर, 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में आरोपपत्र दाखिल किया। आरोपपत्र में साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर और चार अन्य आरोपियों का नाम हटा लिया गया है।
इस महत्वपूर्ण फैसले के बाद इन चारों आरोपियों को इस संवेदनशील मामले में समय से पहले ही जेल से रिहा किया जा सकता है।
मालेगांव विस्फोट कांग्रेस के लिए भगवा आतंकवाद का एक उदाहरण है। केंद्र में सत्ता बदलने के बाद से ही कयास लगाया जा रहा था कि साध्वी के दामन पर लगा दाग कानूनी तरीके से धो दिया जाएगा।
एक अधिकारी ने दावा किया, ”उनके खिलाफ एक मात्र सबूत है मोटरसाइकिल जिस पर बम रखा गया था। मोटरसाइकिल उनके नाम से थी लेकिन उसका उपयोग रामचंद्र क लसांगरा कर रहा था। जांच में सामने आया कि धमाकों से दो साल पहले तक यह उसके पास थी। गवाहों के बयानों से यह साबित हुआ है।” सूत्रों ने दावा किया कि साध्वी के धमाकों की साजिश में शामिल होने के सबूत भी कमजोर हैं।
NIA एनआईए ने इस मामले की जांच तीन साल पहले महाराष्ट्र एटीएस से ली थी। महाराष्ट्र एटीएस ने चार्जशीट भी फाइल कर दी थी। एनआईए ने सभी आरोपियों, गवाहों और सबूतों की फिर से जांच की। कई लोगों के नए सिरे से बयान भी दर्ज किए गए।
NIA साध्वी प्रज्ञा और कर्नल पुरोहित पर एटीएस का मत: बम के साथ रखी गई हीरो होंडा मोटरसाइकिल साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर की थी महाराष्ट्र एटीएस ने सबसे पहले उन्हें ही गिरफ्तार किया।(24 अक्टूबर 2008) मुस्लिम बहुल इलाकों को निशाना बनाने के लिए आयोजित की गई सभी बैठकों में साध्वी ने हिस्सा लिया। 11 अप्रैल 2008 को भोपाल में बैठक के दौरान पुरोहित ने कहा कि वह विस्फोटक मुहैया कराएगा।
साध्वी ने कहा कि मालेगांव धमाकों के लिए वह आदमियों का व्यवस्था करेगी। साध्वी सुनील जोशी ओर रामचंद्र कलसांगरा को जानती थी। उनकी मोटरसाइकिल कलसांगरा के पास थी। एटीएस ने कहा कि पुरोहित ने हिंदू राष्ट्र के लिए 2007 में अभिनव भारत बनाया पुरोहित कश्मीर से आरडीएक्स लाया। सुधाकर चतुर्वेदी, कलसांगरा के साथ मिलकर पुरोहित ने पुणे में बम बनाए।