मुंबई- फिल्म ‘दिल है कि मानता नहीं’,’साजन’, ‘इम्तेहान’,’तुम बिन’,’हेलो ब्रदर्स’, ‘जब वी मेट’ और अभी हाल में दबंग (तेरे मस्त मस्त दो नयन), रावडी राठोड(चिकनी कमर) जैसे गीत फिल्म इंडस्ट्री को देनेवाले गीतकार फ़ाएज़ अनवार, जोकि रोमांटिक गीतों के शहंशाह के नाम से महशूर है। जोकि अब वे बतौर निर्माता ‘ऍफ़आरवी बिग बिज़नेस एंटरटेनमेंट प्राईवेट लिमिटेड’ के बैनर तले आज के युवा वर्ग पर बनी रोमांटिक कॉमेडी फिल्म,’लव के फंडे’ लेकर आ रहे है। निर्माता फ़ाएज़ अनवार और प्रेम प्रकाश गुप्ता है और इसके लेखक- निर्देशक इन्दरवेश योगी है। ये फिल्म जुलाई २०१६ में रिलीस होने वाली है।
उसी सिलसिले में शायर-गीतकार-निर्माता फ़ाएज़ अनवार से की गई भेटवार्ता के प्रमुख अंश को प्रस्तुत कर रहे है :-
फ़ाएज़ साहब,गीत लिखते-लिखते अचानक आप फिल्म निर्माण झेत्र में कैसे आ गये ?
अचानक नहीं इसके पहले भी एक कोशिश कर चूका हूँ , पर कोशिश नाकाम हो गयी थी। अब मेरे पार्टनर प्रेम प्रकाश गुप्ता का साथ मुझे मिला है। और इस बार पूरी तैयारी के साथ फिल्म निर्माण झेत्र में उतरा हूँ। यह मेरी कोशिश है कि गीत भी लिखता रहूं और फ़िल्में भी बनता रहूं। इस वक़्त मेरे बैनर तले चार फिल्में बन रही हैं और ‘लव के फंडे’ रिलीज़ के लिए तैयार है। मेरी कोशिश होगी कि दोनों तरफ बराबर काम करता रहूं।
आप ज्यादातर रोमांटिक गीतों के लिए मशहूर हैं, शायद इसलिए रोमांटिक फिल्म बनाई है ?
यह सिर्फ रोमांटिक नहीं,बल्कि रोमांटिक कॉमेडी फिल्म है। यह यूथ बेस फिल्म है, आज की यंग जनरेशन को मद्देनज़र रखते हुए यह फिल्म बनाई है। रोमांस व कॉमेडी से भरपूर संगीतमय फिल्म है,’लव के फंडे’। चार यंग टैलेंटेड लड़के – लड़कियों को लेकर यह फिल्म बनाई है। और इसके डायरेक्टर इन्दरवेश योगी ने बहुत ही अच्छा काम किया है। वे बहुत काबिल डायरेक्टर है। यह फिल्म बहुत ही खूबसूरत बनी है बाकी फैसला पब्लिक करेगी।
क्या वजह है कि ‘लव के फंडे’ में आपने किसी भी बड़े कलाकार को ना लेकर नये लोगों को चुना है?
वजह तो कोई नहीं, बल्कि मैंने अपनी सहूलियत के हिसाब से नये लोगों को चुना। नये लोगों को लेकर फिल्म बनाना बहुत ज्यादा आसान हो जाता है। डेट्स की मारामारी नहीं होती है।स्टारों को लेकर डेट्स के लिए दौड़ना पड़ता है। और सबसे बड़ी वजह यह है कि मेरी फिल्म का सब्जेक्ट है। वह यूथ की कहानी है, मुझे इसके लिए यंग और नये लोग ही चाहिए थे, जो टैलेंटेड हो। इसलिए नए लोगों का चुनाव किया। रहा हिट और फ्लॉप का मसला, तो आजकल बड़े बड़े स्टारों की फिल्में भी फ्लॉप होती है और नये लोगों की भी। पिछेले कुछ समय से नए लोगों को लेकर बन रही फिल्में ज्यादा हिट हो रही हैं।
गुलज़ार साहब और शैलेंद्रजी की तरह फिल्म निर्माण झेत्र में क्या आप भी हिट हो पाएंगे ? आपको क्या लगता है ?
गुलज़ार साहब ने कई फिल्मों का निर्देशन और निर्माण किया और उनमे से कई फिल्में सुपरहिट रही हैं। रहा सवाल शैलेंद्रजी का तो उन्होंने एक ही फिल्म का निर्माण किया, पर वह हिट रही। अब मैंने फिल्म निर्माण झेत्र में कदम रक्खा है। तो मेरी यह कोशिश होगी कि यहाँ पर भी मैं अपना वो मुकाम बनाउँ, जो मैंने शायरी और गीतकार के रूप में बनाया है। और मुझे यकीन है कि मुझे यहाँ पर भी वहीं प्यार मिलेगा, जो लोगों ने मुझे एक गीतकार के रूप में दिया है और मेरी कोशिश होगी कि मैं कुछ अनछुए सब्जेक्ट पर काम करू। जोकि इसके पहले किसी ने ना किया हो, कुछ डिफरेंट सब्जेक्ट पर काम करूँ जो लोगों को अलग लगे। मेरी अभी आनेवाली फिल्म,’लव के फंडे’, यह रूटिंग एक रूटिंग और कमर्शियल फिल्म है और ये मेरी एक अच्छी कोशिश की है, बाकी सब पब्लिक के हाथ में है।
फ़ाएज़ साहब, पिछले कुछ समय से आपके नए गीत बहुत कम सुनने को मिल रहे है, इसकी वजह क्या है ?
एक वजह तो यह है कि पिछले कुछ समय से मैं अपना प्रोडक्शन हाउस जमाने की तैयारी कर रहा था, जिसे मैंने जमा लिया है। और दूसरी वजह यह है कि इन दिनों मैं जो कहानियां सुनता या जिस तरह की फिल्में बन रही हैं। इनमे मेरे लिखने लायक कुछ होता है, तो ही मैं लिखता हूँ। वर्ना इंकार कर देता हूँ। मैं क्वाल्टी पर यकीन रखता हूँ,क्वांटिटी पर नहीं। सच तो यह है गीत वो जो हमारे दिल की गहराइयों को छु ले, वही हमारे सच्चे और अच्छे गीत हैं। आजकल जो नए संगीतकार और गीतकार आ रहे है, उनमें से बहुत सारे लोग है, जिन्हे ना धुन की तमीज़ है, ना राइटिंग की सुरताल,पर काम किये जा रहे है।पब्लिक भी सुन रही है और मज़ा ले रही है। वे हिट भी होते है,पर जुम्मा जुम्मा आठ दिन के मेहमान ऐसे गीत। लोग बना रहे है।मैं ये नहीं कहता कि ऐसे गीत हिट नहीं होते है , होते है पर वक़्ती तौर पर।
क्या आप इस तरह के गीत नहीं लिखते है ?
कभी कभी दिल को बहलाने के लिए मैं भी कर लेता हूँ। बदलते हुए दौर में मुझे रहना है,काम करना है तो ये सब करना ही पड़ेगा। अब देखिये ‘ चिकनी कमर पे तेरी मेरा दिल फिसल गया…”मुझे लिखना पड़ा,’ छम्मक छल्लो छैल छबीली..” मुझे लिखना पड़ा। क्युकि ये फिल्म बनानेवाले कौन? संजय लीला भंसाली साहब। और जब वे ये फिल्म बना सकते है तो हम जैसे शायर, गीतकार लिख क्यों नहीं सकते है ? पर सच कहूं तो ऐसे गीत जुम्मा जुम्मा आठ दिन के मेहमान होते है। पहली बारिश की तरह आई और गई। वक़्त की नजाकत को देखते हुए ये सब करना पड़ता है।
आपकी होम प्रोडक्शन फिल्म,’लव के फंडे’ का म्यूजिक क्या संगीत प्रेमियों की कसौटी पर खरा उतरेगा?
बिलकुल खरा उतरेगा। हालांकि इसमें जो गीत हैं, वह फिल्म को कहानी के एतबार से है। इसमें कुल पांच गीत है। नैना शातिर बड़े ( गायक सुखविंदर ),तेरे कुड़ी ( गायक मीका), ये प्यार है ( गायक जावेद अली),टाइटल सांग ‘ लव के फंडे” ( गायक जोजो ),एक आइटम नंबर ‘ अमूल मस्का..” ( गायिका खुशी ठाकुर) है। इसमें रोमांटिक, आइटम, इमोशनल सभी तरह के गीत है। जो लोगों को काफी पसंद आएंगे। और संगीत प्रेमियों की कसौटी पर खरा उतरेंगे।
बतौर गीतकार आपकी आनेवाली फिल्मों के नाम बताएँगे?
मेरी आनेवाली फिल्में है,”लव के फंडे’, ” मुंबई ड्रीम्स;’मुंबई शुक्लजी स्ट्रीट’ इत्यादि और एक दो है उनके टाइटल नहीं रक्खा गया है ।