फतेहपुर- उत्तर प्रदेश में विधान सभा चुनाव एक साल बाद होने वाले है । लेकिन इस बात को ध्यान में रखकर सभी राजनीतिक पार्टियों ने मुस्लिम वोटरों पर अभी से अपनी अपनी निगाहे टिकानी शुरू कर । मुस्लिम वोटरों के बल पर 2012 के विधान सभा चुनाव में फुल बहुमत से सरकार बनाने वाली समाजवादी पार्टी ने इन 5 सालो में मुस्लिम समाज के लिए कुछ ख़ास काम नहीं किया । हलाकि 2012 के विधान सभा चुनाव में सपा मुखिया मुलायम सिंह ने कहा था कि मुसलमानो की स्थित वर्तमान समय में एससी और एसटी भी ज्यादा खस्ताहाल है ।
यादव ने इन लोगो की कमजोरी को देखते हुए कहा था कि अगर इस बार मुस्लिम समाज हमें अपना पूरा समर्थन करे और अगर प्रदेश में हमारी सरकार फुल बहुमत से बनी तो हम सच्चर कमेटी व रंगनाथ की सिफारिशों को लागू करवाकर 14 फीसदी आरक्षण दिलाएंगे। हलाकि शर्तों के अनुसार मुस्लिम समाज ने 70 फीसदी सपा को कीमती वोट दिया चार साल बीत जाने के बाद न तो सपा ने सच्चर कमेटी और ही रंगनाथ की सिफारिशों को लागू करा सकी और न ही 14 फीसदी आरक्षण दिल सकी ।
हालांकि अब इन्ही के फार्मूले को बसपा सुप्रीमो मायावती भी अपना रही है । 2014 के लोकसभा चुनाव अपना चुकी मायावती ने अब मुस्लिमो को अपनी तरफ लभने के लिए 2017 के विधान सभा 25 फीसदी मुस्लिमो को टिकट देकर चुनाव लड़वाने की वकालत कर रही है और सपा पर मुस्लिम शोषण का आरोप लगा रही है ।
बताते चले कि प्रदेश में जब जब भी बसपा की सरकार बनी तो खासकर मुस्लिमो के साथ एकलौतापन का व्यवहार किया गया । जिससे अपनी तानाशाही कारण 2012 के सभा चुनाव में काफी तेज का झटका लगा और इसका सीधा फायदा सपा को पहुंचा !
रिपोर्ट- @सरवरे आलम