मंडला – मध्यप्रदेश सरकार शिक्षा को बढावा देने तरह तरह की योजनाएं चला रही है। शिक्षा का स्तर सुधारने करोडों रूपये पानी की तरह बहाया जा रहा है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही तस्वीर बयां करती है। आदिवासी बाहुल्य मंडला जिले में 2 कमरे के पंचायत भवन में मिडिल स्कूल संचालित हो रहा है। जब एक ही भवन में पंचायत और स्कूल एक साथ संचालित हो रहे हो तो पढ़ाई और काम दोनों प्रभावित होना स्वाभाविक है। बावजूद इसके जवाबदार अधिकारी सबकुछ जानते हुये भी अनजान बनते नजर आ रहे हैं।
स्कूल चलें हम,सब पढें सब बढें,शिक्षा का अधिकार व सर्व शिक्षा अभियान जैसे तमाम सरकारी दावों की पोल खोलने के लिए ग्राम पंचायत गोंझी के स्कूल की तस्वीर ही काफी है। आदिवासी बाहुल्य मंडला जिले के जिला मुख्यालय से महज तीन किलोमीटर दूर स्थित गौंझी गांव में पिछले कई सालों से पंचायत भवन में पंचायती कामकाज के बीच माध्यमिक विद्यालय का संचालन हो रहा है। पंचायत भवन में स्कूल लगने से जहाँ बच्चों की पढाई प्रभावित हो रही है वहीँ पंचायत के कामकाज भी प्रभावित हो रहे हैं। यहाँ पढ़ने वाले बच्चे और पढ़ने वाली शिक्षिकायें दोनों बताते है कि ऐसे में पढ़ना और पढ़ाना दोनों काम कितना मुश्किल है। बावजूद इसके यहाँ पठन – पाठन कराना मज़बूरी है।
पंचायत सचिव सुदेश यादव बताते है कि वर्ष 2013 में माध्यमिक स्कूल स्वीकृत होने के बाद से ही तत्कालीन सरपंच के आदेश से स्कूल इसी पंचायत भवन में संचालित हो रहा है। स्कूल भी चलता रहता है और लोग पंचायत के काम से भी आते रहते है। ऐसे में पढ़ाई और पंचायत कार्य दोनों प्रभावित होते है। स्कूल स्वीकृति के साथ ही भवन भी स्वीकृत हुआ था जिसका निर्माण चल रहा है। जैसे जैसे बजट आता जाता है निर्माण कार्य करा दिया जाता है।
जिले में यह कोई पहला मामला नहीं है। कई स्कूल भवनविहीन हैं और जवाबदार अधिकारी इस गंभीर मामले में गैर जिम्मेदाराना रवैया बनाये हुये हैं। कही स्कूल है तो भवन नहीं – कही भवन है तो शिक्षक नहीं बावजूद इसके जिम्मेदार अधिकारी गोलमोल जवाब देकर पल्ला झाड़ते नजर आ रहे हैं।
इनका कहना –
आपके द्वारा यह मामला सामने लय गया है। यक़ीनन ऐसे में शिक्षा और पंचायत कार्य प्रभावित होते होंगे। जल्द से जल्द बिल्डिंग कम्पलीट कर स्कूल शिफ्ट कराया जायेगा।
संतोष शुक्ला, सहायक आयुक्त आदिवासी विकास, मंडला
रिपोर्ट- @सैयद जावेद अली