लखनऊ- उत्तर प्रदेश में होने वाले चुनाव को लेकर जहाँ सभी पार्टियां अपनी पूरी ताकत से लगी हुई हैं वहीँ बीजेपी ने यहाँ अपनी प्रदेश पदाधिकारीयो की सूची जारी कर दी है। बता दें कि पिछले कई दिनों से नये प्रदेश अध्यक्ष केशव मौर्या के नए कमांडो (टीम) की चर्चा बनी हुई थी।
कौन हैं यूपी BJP अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य?
बीजेपी ने यूपी में अब तक का सबसे बड़ा चुनावी दांव खेलते हुए लक्ष्मीकांत वाजपेयी की जगह कभी चाय बेचने वाले एक प्रमुख ओबीसी चेहरे केशव प्रसाद मौर्य को उत्तर प्रदेश इकाई का जिम्मा सौंपते हुए प्रदेश अध्यक्ष बना दिया है। गौरतलब है कि मौर्य शुरू से ही आरएसएस से जुड़े रहे हैं।
बीजेपी की इस रणनीति से साफ है कि यूपी में बीजेपी की रणनीति गैर यादव पिछड़ों को एकजुट करने की है इसीलिए केशव प्रसाद मौर्या को आगे किया गया है।
यूपी में तमाम नेताओं के नामों के बीच जिस प्रकार राज्य की कमान फूलपुर से सांसद केशव प्रसाद मौर्य को दी गई है, उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस प्रकार बीजेपी यूपी में लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन को दोहराना चाहती है। कहा तो यह भी जा रहा है कि हिंदूत्व को मुद्दे को बढावा देने के लिए ही इस घोषणा के लिए हिंदू नव वर्ष विक्रम संवत 2073 के पहले दिन तक इंतज़ार किया गया।
इन सबके बावजूद यूपी के राजनीतिक पटल पर उनकी बड़ी पहचान नहीं है और ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि मौर्य बीजेपी की तरफ से सीएम पद के उम्मीदवार नहीं हों सकते।
47 साल के केशव प्रसाद मौर्य जिस फूलपुर से पार्टी के सांसद हैं, वहीं से जहां एक तरफ तीन बार देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू चुनाव जीते तो दूसरी तरफ पूर्वांचल के बाहुबली अतीक अहमद जैसे बाहुबली भी। लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव में मौर्य ने तीन लाख वोटों से क्रिकेटर मोहम्मद कैफ को हराकर इस सीट को कब्जे में लिया।
कौशाम्बी में किसान परिवार में पैदा हुए केशव प्रसाद मौर्य के बारे में कहा जाता है कि उन्होने संघर्ष के दौर में पढ़ाई के लिए अखबार भी बेचे और चाय की दुकान भी चलाई। चाय पर जोर देने का कारण साफ है कि कहीं न कहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी इससे जुड़ाव रहा है, ऐसे में सहानुभूति मिलना तय है। मौर्य आरएसएस से जुड़ने के बाद वीएचपी और बजरंग दल में भी सक्रिय रहे। हालांकि हलफनामे के मुताबिक आज की स्थिति काफी अलग है। उनके और उनकी पत्नी के पास करोड़ों की संपत्ति है। हलफनामे के अनुसार आज केशव दंपती पेट्रोल पंप, एग्रो ट्रेडिंग कंपनी, कामधेनु लाजिस्टिक आदि के मालिक हैं और साथ ही जीवन ज्योति अस्पताल में दोनों पार्टनर हैं। सामाजिक कार्यो के लिए कामधेनु चेरिटेबल सोसायटी भी बना रखी है।
हिंदुत्व से जुड़े राम जन्म भूमि आंदोलन, गोरक्षा आंदोलनों में हिस्सा लिया और जेल गए। इलाहाबाद के फूलपुर से 2014 में पहली बार सांसद बने मौर्या काफी समय से विश्व हिंदू परिषद से जुड़े रहे हैं। ऐसे में कोई दो राय नहीं कि मौर्या का चयन आरएसएस के इशारे पर किया गया है। इन सबके बावजूद यूपी के राजनीतिक पटल पर उनकी बड़ी पहचान नहीं है और ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि मौर्य बीजेपी की तरफ से सीएम पद के उम्मीदवार नहीं हों सकते।
रिपोर्ट- @शाश्वत तिवारी