लगभग दो बनवास का समय पूरा हो जाने के बाद कांग्रेस पार्टी इस बार लगता है कि गंभीर होकर चुनाव लड़ने के लिए नई रणनीति के साथ 2017 के चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है । इसी क्रम में कांग्रेस पार्टी ने बडा़ बदलाव करते हुए मघुसूदन मिस्त्री को हटाया और कांग्रेस पार्टी के महासचिव गुलाम नबी आजाद को उ.प्र. की महत्तवपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी है ।
गुलाम नबी आज़ाद को जोड़ तोड़ का मास्टर माना जाता है और रणनीति बनाने में भी उनकी गिनती बहुत माहिर लोगो में होती है । गुलाम नबी आजाद को उ.प्र. जैसे बडे राज्य की जिम्मेदारी देने की बड़ी वजह यह भी है कि बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद से उसके परम्परागत वोट बैंक अल्पसंख्यकों का जो मोहभंग कांग्रेस पार्टी से हुआ है जिसके कारण कांग्रेस पार्टी उत्तर प्रदेश की सत्ता से दूर होती वली गयी और आज तक सत्ता तक नहीं पहंच सकी है उसको वापस लाने का है ।
इसके साथ ही कांग्रेस पार्टी ने फिल्म अभिनेता राज बब्बर को उ.प्र. का अध्यक्ष बनाकर एक बड़ा दाॅंव और खेला है । क्योंकि राजबब्र राजनीति के एक मंझे हुए खिलाड़ी है उनको एक जुझारु नेता के रुप में जाना जाता है और कम से कम उनके विरोधी भी उनके ऊपर किसी प्रकार का आरोप नहीं लगा सकते है उनकी हर समाज में अच्छी पकड़ है । उत्तर प्रदेश में समाजवादी जैसी बड़ी पार्टी से राजबब्र मुकाबला करने की ताकत रखते है राज बब्बर ने डिम्पल यादव को फिरोजाबाद के चुनाव में हराकर यह साबित कर दिया था के वह मुलायम के पूरे कुनबे से मुकाबला करने में सक्षम है।
कांग्रेस पार्टी उत्तर प्रदेश का आगामी विधान सभा चुनाव पूरी ईमानदारी व जीतने की लगन से चुनाव लड़ेगी ऐसा प्रतीत हो रहा है जिसके लिए इतने बड़े पैमाने पर फेरबदल किये गये है । उत्तर प्रदेश में विगत कई वर्षो से दो ही पार्टिया विकल्प के रुप में जनता के सामने होती थीं । जिसमें जनता के पास ज्यादा विकल्प न होने के कारण इनको कई वर्षो से इन पार्टियों को फायदा मिलता आ रहा है ।
क्योंकि दूसरी कोई पार्टी अपने आप को बेहतर विकल्प के रुप में प्रस्तुत नहीं कर पा रही थी कम से कम कांग्रेस तो बिल्कुल नहीं जिसकी वजह से सपा और बसपा को फायदा मिल रहा था । इस बार सपा से खासकर मुसलमानो की नाराजगी का फायदा बसपा के उठाने की उम्मीद जग रही थी लेकिन संडीला से पूर्व विधायक व मंत्री अब्दुल मन्नान, उनके भाई हन्नान और शाहबाद सीट से पिछली बार के विधायक बब्बू को पार्टी से बाहर निकालने के कारण मुसलमानों में बसपा सरकार के खिलाफ माहौल बन रहा है ।
अब देखना यह है कि कांग्रेस पार्टी अपने इस सबसे पुराने वोट बैंक को कितनी समझदारी से अपनी पाले में करने में कामयाब होती है । अगर कांग्रेस ने अपने आपको एक अच्छे विकल्प के रुप में पेश करने में कामयाबी हासिल कर ली जिसकी वह लगातार कोशिश करती दिख रही है तो निश्चित रुप से आगामी सरकार कोई भी कांगेस के बगैर नही बना पायेगा ।
इस बार कांग्रेस पार्टी अपने परंपरागत वोट बैंक जैसे मुस्लिम और ब्रहमण को अपने पाले में करने के लिए जितनी प्रयासरत है उतनी इससे पहले नहीं देखी गयी जिसका ताजा उदाहरण गुलाम नबी आजाद और शीला दीक्षित है ।
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी ही ऐसी पार्टी है जिसने आखिरी बार बाहमण मुख्यमंत्री दिया था उसके बाद से विगत 27 वर्षो में कोई भी बृहमण मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश का नही हुआ इसका दर्द भी बृहमण समाज समझता है लेकिन चूकि राजनीति में रिक्त स्थान नही रहता है इस कारण बृहमण समाज दूसरी पार्टियों का रुख समय समय पर करता रहा है।
अगर इस बार कांग्रेस के सोशल इन्जियरिंग के फार्मूले पर बृहमण समाज कांग्रेस के साथ आ गया जो कि लग रहा है तो निश्चित रुप से कांग्रेस एक चमत्कारिक रुप से उभर कर आयेगी । वैसे आम बृहमण भी यह बात मानता है कि उनको जो इज्जत कांग्रेस पार्टी में मिलती थी वह शायद अन्य पार्टियों में नहीं मिल पा रही है ।
अब कांग्रेस के इन नये शूरवीरों पर पूरा दारोमदार है कि वह मुस्लिम और ब्रहमण को एक साथ जमा करके वोटों में बदल सकते है या नही अगर कांग्रेस के यह दिग्गज ऐसा करने में कामयाब हो गये तो आगामी कोई भी सरकार कांग्रेस के बगैर नहीं बन पायेगी । लेकिन इसके लिए यह भी ज़रुरी है कि कांग्रेस में जो कार्यकर्ताओं का टोटा पड़ा हुआ है उसको दूर करके नये कार्यकताओं को खड़ा कर सके ।
क्योंकि कांग्रेस पार्टी के लिए यह कहा जाने लगा था कि इस पार्टी में नेता के अलावा कोई कार्यकर्ता जैसी वस्तु नहीं है । इस बार कांग्रेसियों को पी.के. की बातों पर अमल करते हुए मेहनत करना चाहिए क्योंकि उनके पास पिछले 27 साल का समय था अपने आप को साबित करने का, तो वह कुछ कर नहीं पाये 27 साल का समय कोई कम समय नहीं होता है ।
अपने आप को साबित करने का इसलिए कांग्रेसी नेताओं को कम से इस बार पी.के. की बात पर यकीन करते हुए उनके बताये हुए रास्ते पर मेहनत और लगन के साथ काम करके दिखाना चाहिए । अगर कंाग्रेसी नेताओं ने यह कर दिखाया तो निश्चित रुप से उत्तर प्रदेश की राजनीति में इस बार कांग्रेस चमत्कार कर सकती है तिवारी
:- तारिक़ खान
लेखक- कर्रेंट मीडिया न्यूज़ एजेंसी के संपादक है।