नई दिल्ली- जजों की नियुक्ति को लेकर चल रहे मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को चेताया कि अगर रूकावट खत्म नहीं हुई तो न्यायपालिका को दखल देना पड़ेगा। कोर्ट ने सरकार के अविश्वास पर भी सवाल किया। सरकार मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर में जजों की नियुक्ति में विवादित मुद्दों पर अपने रूख पर अडिग है।
सरकार ने एक सप्ताह पहले कॉलेजियम की आपत्तियों पर काम करने से मना कर दिया था। जजों की कमी और खाली पदों को भरने में देरी के मामले में दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर सरकार पर जमकर बरसे। उन्होंने अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी से कहा, ”जजों की नियुक्ति में रूकावट हम बर्दाश्त नहीं करेंगे। इससे न्यायिक कार्यों का गला घोंटा जा रहा है। अब हम जिम्मेदारी में तेजी लाएंगे। ऐसा अविश्वास क्यों? यदि यह रूकावट जारी रही तो हमें न्यायिक रूप से दखल देने को मजबूर होना पड़ेगा। हम कॉलेजियम की ओर से आपको भेजी गई सभी फाइलों की जानकारी लेंगे।”
चीफ जस्टिस ने कहा, ”इस संस्थान को रोकने की कोशिश मत करो।” जस्टिस ठाकुर सुप्रीम कोर्ट में कॉलेजियम के प्रमुख हैं। उनकी अध्यक्षता वाली बैंच ने अटॉर्नी जनरल को कोर्ट में समन किया था। इस केस की सुनवाई से ठीक पहले कोर्ट ने सड़क सुरक्षा से जुड़ी एक याचिका पर फटकार लगाई। चीफ जस्टिस के साथ ही इस बैंच में जस्टिस एएम खानविलकर और डीवाई चंद्रचूड़ भी शामिल थे। बैंच ने आगे कहा, ”हम मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर पर काम कर रहे हैं लेकिन सब कुछ अधूरा नहीं छोड़ा जा सकता। आप देखिए, इसके कारण कोर्ट का काम प्रभावित हो रहा है। हम यह सब नहीं चाहते।”
शुक्रवार को देश के मुख्य न्यायधीश टीएस ठाकुर समेत तीन जजों की बेंच ने सरकार से पूछा कि कोलेजियम की सिफारिश के बावजूद अब तक 75 जजों की नियुक्तियां क्यों नहीं हुई हैं?
SC ने पूछा किसके पास अटका है मामला?
मुख्य न्यायधीश ने अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी से पूछा कि 8 महीने से सिफारिश कोलेजियम ने की हुई है, तो अब तक वो नियुक्तियां क्यों नहीं हुईं? आखिर किसने नियुक्तियों को रोका हुआ है? मामला आखिर किस अथॉरिटी के पास रुका है? जस्टिस ठाकुर ने कहा की सरकार को अगर किसी नाम पर आपत्ति है तो वो उसे पर्याप्त दस्तावेजों और वजहों के साथ कोलेजियम को वापस भेज सकती है लेकिन सिफारिशों पर कोई फैसला न लेना पूरी प्रक्रिया को रोक देता है।
‘केंद्र ने अब तक कुछ नहीं किया’
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोलेजियम ने हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए 75 लोगों की लिस्ट भेजी थी, लेकिन केंद्र ने अब तक इस पर कुछ नहीं किया। सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल से कहा अब समय आ गया है की अदालत इसमें दखल दे और न्यायिक आदेश दे। कोर्ट के आक्रामक तेवर देख कर अटॉर्नी जनरल ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि वो सुप्रीम अथॉरिटी के सामने मामले को ले जायेंगे और 4 हफ्ते में जवाब देंगे।
जज कम, मामले ज्यादा
सुप्रीम कोर्ट ने कहा की देश के तमाम हाईकोर्ट में जजों के 43 फीसदी पद खाली पड़े हैं। तो दूसरी तरफ लंबित मामलों की संख्या 4 करोड़ के पार जा रही है ऐसे में जजों की नियुक्तियां बेहद जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट ने एक रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल अनिल कबोत्रा की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान ये टिप्पणियां की। कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल से ये भी कहा कि आप (सरकार) चाहे इस मामले पर गंभीर हों या न हों लेकिन ये याचिका बताती है की आम आदमी के लिए भी ये एक गंभीर मुद्दा है। इस याचिका में कोर्ट का ध्यान लंबित मामलों की संख्या और उनके समाधान की तरफ खींचने की कोशिश की गई है। [एजेंसी]