बनारस: भूकम्प की भविष्यवाणी संभव नही, ऐसा माना जाता रहा है। लेकिन काशी में एक ऐसा शख्स है जो भूकम्प की भविष्यवाणी करता है और उसकी भविष्यवाणियां सही भी होती हैं। 57 साल के इंटरमीडिएट बुज़ुर्ग भूकम्प, बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं की सटीक भविष्यवाणी करते हैं, वो भी बादलों की चाल देखकर। पिछले साल नेपाल में आये भूकम्प की भी उन्होंने बादलों को देखकर ही भविष्यवाणी की थी।
की थी चीन, जापान, भुज के भूकम्प की भी भविष्यवाणी
काशी के मुस्लिम बाहुल क्षेत्र छित्तनपुरा के 57 साल के शकील अहमद पिछले पच्चीस सालों से भविष्यवाणी करते आये हैं। उनकी भविष्यवाणी का कोई वैज्ञानिक आधार तो नही है फिर भी ज़्यादातर उनकी भविष्यवाणियां सही ही हुई हैं। चाहे 2005 में जम्मू कश्मीर में आया भूकम्प हो या गुजरात के भुज में आया भूकम्प। जम्मू कश्मीर और उत्तराखंड में आई बाढ़ का भी उन्होंने कुछ दिनों पहले ही प्रेडिक्शन कर दिया था। इसके पहले 1995 में जापान में और 12 मई 2008 में चीन में आये भूकम्प की भी उन्होंने भविष्यवाणी की थी।
इस आधार पर करते हैं भविष्यवाणी
शकील अहमद बताते हैं आसमान में उभरने वाले कुछ खास किस्म के बदल और उनकी चाल से वो आने वाली प्राकृतिक आपदा की भविष्यवाणी करते हैं। उनका कहना है कि ज़मीन के अंदर जो भी हलचल होती है उसका प्रभाव बादलों में बनता है। ज़मीन के अंदर की तरंगें बादलों को कण्ट्रोल करती हैं। ज़मीन से आकाश तक जो प्रकाश की तरंगें जाती हैं, उससे बादलों के रंग, आकार और फैलाव में परिवर्तन होता है।
यही भूकंप का कारण बनता है। यही वजह है कि बादलों से भूकम्प का प्रेडिक्शन किया जा सकता है। उनका दावा है कि बादलों को देखकर ना सिर्फ भूकम्प बल्कि उसके अनुमानित समय, स्थान और भूकम्प किस रिक्टर पैमाने पर आएगा इसकी भी सटीक भविष्यवाणी की जा सकती है और उन्होंने ऐसा करके दिखाया भी है।
अपने नही बेगाने मानते हैं उनके इस ज्ञान को
25 साल से भविष्यवाणी कर रहे शकील अहमद ने अपने इस अनूठे ज्ञान का फ़ायदा समाज तक पहुँचाने की काफी कोशिशें की, बावजूद उनके ज्ञान से कोई फ़ायदा लेने को अपने देश में ही लोग तैयार नही है। हां ये ज़रूर है कि उनके प्रेडिक्शन को यूनाइटेड स्टेट्स ज्योग्राफिकल सर्वे (USGS) ज़रूर मानती है। शकील अहमद जब भी कोई प्रेडिक्शन करते हैं, इसकी जानकारी वे मेल के ज़रिये ना सिर्फ यूएस ज्योग्राफिकल सर्वे को देने के साथ ही देश के तमाम मौसम कार्यालयों, इसरो, नासा को भी देते हैं। यूएसजीएस के अर्थक्वेक हजार्ड प्रोग्राम के को-ऑर्डिनेटर डॉ. माइकल ब्लेनपाइड उनकी मेल का ना सिर्फ रिप्लाई करते हैं बल्कि उन्हें इस बात के लिए प्रेरित भी करते हैं कि वो जब भी प्रेडिक्शन करें उसकी जानकारी उन्हें ज़रूर दें।
शकील अहमद का कहना है कि उन्हें इस बात का बेहद दुःख है कि उनकी इस जानकारी का उपयोग करने को कोई तैयार नही है। उनकी भविष्यवाणियां लगातार सच साबित हो रही हैं बावजूद इसके कोई उनका समाजहित में इस्तेमाल नही कर रहा जबकि वो बस इतना चाहते हैं कि उनके इस ज्ञान का समाजहित में इस्तेमाल किया जाये। रिपोर्ट चाणक्य त्रिपाठी