वाराणसी : अब तक लोग सुनते थे कि काले पानी की सजा होती है लेकिन कभी देखा नहीं, क्यूंकि इस सजा को देखने वाले को जघंन्य अपराध का आरोपी माना जाता है। लेकिन बिना अपराध किये बनारस वासी इस सजा को भुगत रहे हैं। शहर के दर्जनों इलाकों में बाढ़ के कारण सीवर का मलजल तैर रहा है।
एक ओर बाढ़ ग्रसित लोग अपने परिवार और घरों का सामान बचाने में लगे हैं तो दूसरी ओर शहर के मध्य बसे लोग सीवर के काले पानी से लड़ रहे हैं। कुछ इलाके के लोगों ने त्रस्त होकर चक्काजाम, धरना प्रदर्शन और सम्बन्धित विभाग से इसकी शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। नगर निगम, जलकल विभाग सहित अन्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जबतक बाढ़ का पानी कम नहीं होता है तबतक सीवर की सफाई नहीं की जा सकती।
बता दे की करीब 10 दिन से हनुमान फाटक, तेलियाना, गोला, पटानी टोला, कुतबन शहीद, कोइलाबाज, छित्तनपुरा, छोहरा, कमलगढ़हा, रसूलगढ़, राजापुरा, जौतपुरा, भदऊचुंगी, पंचइतिया कुआं, कोढ़ियाना, पैराडाइज, सोनकर बस्ती सहित आस-पास के इलाकों में दो फूट से ऊपर मल जल तैर रहा है। गंगा और वरुणा नदी में आए बाढ़ से इन इलाकों के नाले रिवर्स फ्लो कर रहे हैं।
शहर के मध्य रहने वाले लोग इस समस्या से खाशा परेशान हैं। मुसीबत की इस घड़ी में शहर वासियों को जिला प्रशासन से उम्मीद थी, लेकिन बाढ़ में फंसे होने का दावा करने वाले प्रशासनिक अधिकारियों ने पहले ही अपने हाथ खड़े कर दिये हैं।
। गांव हो या शहर, दोनों ही जगहों से लोग पलायन को मजबूर हैं। वाराणसी में कमिश्नर नितिन रमेश गोकर्ण ने कड़े निर्देश दिए हैं कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में अभियान चलाकर पीड़ित लोगों को हर हाल में राहत मुहैया कराई जाए। बता दें, वाराणसी मंडल के वाराणसी, चंदौली और गाजीपुर जिले बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हैं।
रिपोर्ट – चाणक्य त्रिपाठी