खंडवा- आजादी के पूर्व सतना के पास रतौना गाँव में अंग्रेजों के द्वारा खोले जा रहे क़त्ल खाने के विरुद्ध अपनी पत्रकारिता के माध्यम से नागरिको में सामाजिक चेतना जाग्रत करने में माखनलाल चतुर्वेदी की भूमिका पर खंडवा में एक गोष्ठी हुई । इस गोष्ठी में आजादी पूर्व देश की पत्रकारिता,सामाजिक एकता और अंग्रेजों की कूटनीति पर चर्चा हुई। इस गोष्ठी में केबिनेट मंत्री अर्चना चिटनीस, मप्र राष्ट्र भाषा प्रचार समिति के अध्यक्ष कैलाश पंत, माखनलाल चतुर्वेदी वि विद्यालय भोपाल के कुलपति बी के कुठियाला और वरिष्ठ पत्रकार रमेश शर्मा ने हिस्सा लिया।
स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान 1920 में सतना के रतौना गाँव में अंग्रेज शासन की और से लगाए जा रहे उस समय देश के सबसे बढे क़त्ल खाने के खिलाफ माखनलाल चतुर्वेदी ने अपनी पत्रकारिता के माध्यम से समाज को जाग्रत कर अंग्रेजो के खिलाफ खड़ा कर दिया था। इस गोष्ठी में आये वक्ताओं ने तथ्यों के साथ यह बताया कि गौवंश की रक्षा और समाज में उसकी उपयोगिता के पक्ष में हिन्दू मुस्लिम दोनों ही समाज ने साथ मिलकर अंग्रेजों को यह क़त्ल खाना बंद करने पर मजबूर कर दिया था। वक्ताओं ने भारतीय समाज में गौवंश की उपयोगिता , सामाजिक समरसता और चमड़े के लिए अंग्रेजों के उपभक्तावाद पर निशाना साधा।
गोष्ठी में यह बात भी उभर कर आई कि 1857 की क्रांति से लेकर 1920 के रतौना कत्लखाना विद्रोह तक देश में कभी भी हिन्दू मुस्लिम धर्म के आधार पर नहीं बंटे लेकिन उसके बाद ऐसा क्या हुआ कि आजादी तक देश का बटवारा धर्म के आधार पर हो गया। यह शोध का विषय होना चाहिए।
इस अवसर पर श्रीमती चिटनिस ने माखनलाल विष्वविद्यालय द्वारा रतौना आदोंलन में माखनलाल जी की पत्रकारिता की भूमिका पर आधारित शोध कार्य की प्रशंसा करते हुए कहा कि शिक्षण संस्थानों को ऐसे और भी शोध कार्य कराने चाहिए। उन्होने कहा कि कर्मवीर के माध्यम से किस तरह माखनलाल जी ने रतौना पशुवधशाला के खिलाफ अंग्रेजी की फूट डालो राजनीति को असफल बनाया यह आदर्श मीडिया की एक अनूठी मिसाल है।
कुलाधिसचिव श्री लाजपत आहूजा जी ने रतौना विषय पर विषय प्रवेश किया। उन्होने कहा इसी के साथ रतौना का इतिहास दुबारा दोहराया जा रहा है। हिन्दू मुस्लिम भाइयों को एक होकर वही एकता दुबारा लानी होगी। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि एवं वरिष्ठ पत्रकार रमेश शर्मा ने कहा कि मुस्लिम भाई गौहत्या को सीधे तौर पर अपने से न जोडे़ । यह एक तरह की हिन्दू और मुस्लिम एकता के लिए संकट है।
उन्होने गीता के महत्व को बताते हुए इसके अध्ययन करने को कहा। संचालक म.प्र. राष्ट्रभाषा प्रचार समिति भोपाल के कैलाश पंत जी ने कहा पत्रकारिता के कमजोर होते स्तर को देखते हुए देशभक्ति, राष्ट्रप्रेम, और राष्ट्रप्रतिक की पत्रकारिता को आगे बढ़ाने को आवश्यक बताया उन्होने शब्द को ब्रम्ह बताते हुए शब्द के महत्व को स्पष्ट किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विष्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बृजकिशोर कुठियाला ने कहा कि रतौना के 77 दिन के आंदोलन ने अंग्रजोें का झुका दिया। साथ ही इन्होंने विष्वविद्यालय में चल रहे शोध एवं शिक्षण कार्य पर प्रकाश डाला। कर्मवीर विद्यापीठ के छा़त्रों से मीडिया विषय पर चर्चा की ।
कार्यक्रम का संचालन परिसर प्रभारी प्राचार्य श्री संदीप भटट ने किया। अतिथियों का आभार श्री एम आर मंडलोई ने आभार प्रकट किया । इस अवसर पर शहर के कई गणमान्य नागरिक एवं मीडियाकर्मी, कर्मवीर विद्यापीठ के समस्त व्याख्याता और विद्यार्थी उपस्थित रहे। साथ ही भोपाल विष्वविद्यालय से पधारे श्री दीपक चैकसे और श्री परेश उपाध्याय उपस्थित रहें।