बैतूल- सरकार खेती को लाभ का धंधा भले ही न बना सकी हो,लेकिन बैतूल के किसानो ने अपनी तरक्की कि राह खुद चुन ली है । किसान अपने खेतो में गांजा लगा कर रातो रात लखपति बनने की जुगत में है । खेतो में लहलहाती गांजे की फसल की जानकारी आबकारी विभाग को भी नहीं है ।
जिला मुख्यालय हो या सुदूर ग्रामीण अंचल किसान अपनी फसलों के बीच गांजे की खेती करने में लगे हुए है । भैसदेही ब्लॉक के माझरी गांव में झल्लार निवासी बली का खेत है । फसलों के बीच दो लाइनों में उनके बटाईदार ने गांजे की फसल लगा ली,और बली इस फसल से अनजान है । बली की कोई संतान नहीं होने की वजह से खेती ठेके पर दे रखी है ।
वृद्ध बली को यह भी नहीं मालूम कि ठेके पर जिस सख्श को अपनी ज़मीन दी है वह खेत में क्या लगा रहा है । माझरी गाँव के नारायण राजने से जब इस अवैध गांजे की फसल के बारे में बात की तो उसने खेत ठेके पर लेने वाले का नाम तो नहीं बताया बल्कि उसका पक्ष रखते हुए कहा की गांजा लगाया नहीं है खुद बा खुद लग गया ।
इधर जिला मुख्यालय से महज 8 किलोमीटर कि दूरी पर सोयाबीन की फसल में किसान ने बड़ी मात्रा में गांजा लगा होने की पुख्ता जानकारी है ।इस सब के बावजूद जिले का आबकारी अमला अवैध शराब कारोबारियों को ढूढ़ कर खत्म करने का विशेष अभियान चला रहा है लेकिन अवैध गांजे की खेती से अनजान है ।
रिपोर्ट- @अकील अहमद (अक्कू)