नई दिल्ली- जम्मू-कश्मीर के उरी में सेना के मुख्यालय पर रविवार तड़के हुए आतंकी हमले में 17 जवान शहीद हो गए हैं। हमले में आठ जवान गंभीर रूप से घायल हैं। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर श्रीनगर दौरे के बाद सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस हमले की रिपोर्ट सौंपेंगे, जबकि इस बीच गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने एक हाईलेवल मीटिंग बुलाई है।
उरी हमले के पीछे एक बार फिर पाकिस्तान का हाथ होने के साफ संकेत मिल रहे हैं। हाल के वर्षों में यह सैन्य बलों पर सबसे बड़ा हमला बताया जा रहा है। गृह मंत्रालय ने सभी एयरपोर्ट को सुरक्षा के मद्देनजर अलर्ट जारी कर दिया है।
इस हमले में जैश ए मोहम्मद की भूमिका
डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस (डीजीएमओ) ले. जनरल रणबीर सिंह ने एक प्रेस कांफ्रेंस करके सेना के बटालियन हेडक्वार्टर शिविर पर हुए आतंकी हमले से जुड़ी कई जानकारियां दी। उन्होंने बताया कि आतंकी पूरी तरह प्रशिक्षित थे और भारी गोला-बारूद के साथ आए थे। सिंह ने कहा कि शुरुआती जांच में इस हमले में आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद की भूमिका के स्पष्ट प्रमाण मिले हैं। इस आतंकी संगठन का सरगना आतंकी मौलाना मसूद अजहर है। उन्होंने यह भी बताया कि आतंकियों के कब्जे से चार एके सैंतालीस राइफल, चार अंडरबैरल ग्रेनेड लॉन्चर बरामद हुए हैं और बरामद सामान पर पाक की मुहर लगी है।
सेना करेगी पलटवार
सेना के ब्रिगेड कैंप पर हमले के बाद भारत बड़े पैमाने पर पलटवार करने की सोच रहा है। द इंडियन एक्सप्रेस को सरकार में सूत्रों ने बताया है कि ‘बदला’ लेने के लिए ‘निशानों’ की एक पूरी लिस्ट तैयार की जा रही है। इसमें लाइन ऑफ कंट्रोल के पास जिहादी मिलिट्री इंफ्रास्ट्रक्चर पर हमले से लेकर घुसपैठियों की मदद करने वाली पाकिस्तानी सेना की पोजिशंस भी शामिल हैं।
सूत्रों के मुताबिक, रविवार सुबह राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहाकार अजीत डोभाल ने टॉप इंटेलिजेंस और सेना के अधिकारियों के साथ बैठक की, जहां उन्हाेंने प्रधानमंत्री के समक्ष रखे जाने वाले विकल्प मांगे। सेना के वरिष्ठ सूत्रों के मुताबिक, उत्तरी कमान ने एलओसी के जरिए घुसपैठ में मदद करने वाली पाकिस्तानी सेना की पोजिशंस को स्पेशल फोर्सेज के जरिए निशाना बनाने की योजना बनानी शुरू कर दी है। नई दिल्ली एलओसी के पार चल रहे ट्रेनिंग कैंपों, उरी हमले के जिम्मेदार कमांडर्स को निशाना बनाने के लिए खुफिया सेवाओं की मदद लेने की भी सोच रही है।
रविवार को हुई बैठक में इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB), रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) और डायरेक्टरेट जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस (DGMO) के प्रतिनिध मौजूद रहे। एक टॉप मिलिट्री कमांडर ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया- ”हम अपने सैनिकों की हत्या का बदला जरूर लेंगे लेकिन पेशेवर सैन्य मूल्यांकन के बाद और अपने हिसाब से तय किए गए समय पर। राजनीतिक मजबूरियों या प्राइम-टाइम न्यूज साइकिल के दबाव में नहीं।” [एजेंसी]