नई दिल्ली– लोढ़ा समिति ने सुप्रीम कोर्ट से बेहद तल्ख लहजे में कहा है कि बीसीसीआई उसके निर्देशों को नहीं मान रहा, इसलिए उसके शीर्ष अधिकारियों को हटा दिया जाए। समिति ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में यह कहते हुए अपनी रिपोर्ट सौंप दी है कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) उसके निर्देशों और सुझावों का पालन नहीं कर रहा है।
रिपोर्ट जमा किए जाने के बाद देश की शीर्ष अदालत ने कहा कि इस मामले को वह अब 6 अक्टूबर को देखेगा। साथ ही कोर्ट यह भी चाहता है कि बीसीसीआई अपना पक्ष 6 अक्टूबर को उनके सामने रखे।
समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह भी सुझाव दिया कि निर्देशों का पालन नहीं करने के कारण बोर्ड से जुड़े शीर्ष अधिकारियों को हटा दिया जाए। अगर कोर्ट इस पर राजी हो जाती है तो अध्यक्ष अनुराग ठाकुर को अपने पद से हाथ धोना पड़ सकता है। कोर्ट को सौंपे रिपोर्ट के अनुसार लोढ़ा समिति यह भी चाहती है कि बीसीसीआई में पुरानी व्यवस्था से नई व्यवस्था में ढलने के लिए प्रशासकों का एक सेट तैयार किया जाए जो इन निर्देशों का पालन करे।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, कानून से ऊपर नहीं है बीसीसीआई
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर जो लोढ़ा समिति के गठन करने वाली बेंच का हिस्सा थे ने कहा कि अगर बीसीसीआई सोचती है कि वह कानून से ऊपर है तो वे गलत हैं। उन्होंने आगे कहा, “जब उच्च स्तरीय समिति इस तरह की रिपोर्ट देती है तो हम बीसीसीआई से किसी भी तरह के नियमों के उल्लंघन की उम्मीद नहीं करते हैं। निर्देशों का पालन करें वरना हम आदेश जारी कर देंगे।”
लोढ़ा समिति का गठन 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने किया था। पूर्व मुख्य न्यायाधीश आरएम लोढ़ा की अगुवाई वाली लोढ़ा समिति ने इस साल 18 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में अपनी रिपोर्ट जमा की थी जिसमें दुनिया के सबसे धनी क्रिकेट बोर्ड में सुधार लाने के लिए कई सुझाव दिए थे।
बीसीसीआई ने 30 सितंबर विशेष आम बैठक बुलाई है। इससे पहले 21 सितंबर को बोर्ड की सलाना आम बैठक हुई थी।
समिति ने बोर्ड को 2 डेडलाइन दे रखी है, पहला वह 30 सितंबर तक बोर्ड में संवैधानिक स्तर पर बदलाव करे और दूसरा 15 दिसंबर तक वर्किंग समिति की जगह बोर्ड 9 सदस्यों की शीर्ष समिति का गठन करे। लेकिन क्रिकेट बोर्ड ने लोढ़ा समिति के किसी भी सुझाव का पालन नहीं किया। बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मार्केंडेय काटजू को लोढ़ा समिति के सुझावों के रिव्यू करने के लिए नियुक्त किया था जिन्हें इन निर्देशों के पालन के संबंध में सुझाव देना है।