मंडला- कान्हा टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने बाघ के नाखून, मूछ के बाल, चमड़ा सहित शिकार में प्रयुक्त होने वाले सामान जप्त किये हैं। 24 घण्टे चले इस विशेष अभियान के दौरान पार्क प्रबंधन ने तीन आरोपियों को भी गिरफ्तार किया है। वन्यप्राणी सुरक्षा सप्ताह के दौरान हुई इस बड़ी कार्यवाही को पार्क प्रबंधन जहां बड़ी सफलता मान रहा है, तो वहीं बाघ के अंगों की जप्ती पार्क की सुरक्षा को लेकर सवालिया निशान भी खड़े कर रहे हैं। बाघ के अंगों की जप्ती को तंत्रमंत्र से जोड़कर भी देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि तंत्र क्रियाओं के जरिये आरोपी नोटों की झड़ी लगाने वालों की तलाश में थे और इसी दरम्यान वे पार्क प्रबंधन की गिरफ्त में पहुंच गये।
इस पूरे अभियान के सूत्रधार सहायक संचालक सुधीर मिश्रा ने बताया कि कान्हा टाईगर रिजर्व के संचालक को मुखबिर से इस क्षेत्र में वन्यप्राणियों के शिकार व अंगों के विक्रय की जानकारी मिली थी। जिसके बाद योजनाबद्व तरीके से टीम गठित कर आरोपियों को धर दबोचने के लिये जाल बिछाया गया। इस कार्य में पार्क के अधिकारी, कर्मचारियों को पंडा और वन्यप्राण्यिों के अंगों के व्यापारी के रूप में प्रस्तुत कर आरोपियों से संपर्क किया गया। इस पूरे क्षेत्र में एक अंधविश्वास है कि बाघ के चमड़े से नोटों की झड़ी करवाई जा सकती है और वह भी करोड़ों रूपये इसके जरिये गिरवाये जा सकते हैं। पार्क प्रबंधन को इस बात की जानकारी थी कि आरोपी झड़ी लगाने वाले किसी तांत्रिक की खोज में हैं। प्रबंधन ने अपने एक अधिकारी को पंडे के रूप में प्रस्तुत किया और एक को व्यापारी व उसका सहयोगी बनाकर संपर्क किया।
प्रबंधन की इस टीम ने आरोपियों को इस बात का यकीन दिलाया कि उनके साथ मौजूद पंडा न सिर्फ झड़ी कराने में कामयाब होगा, बल्कि वे लोग चमड़ा सहित अन्य सामग्री भी क्रय कर लेंगे। शुरूआती तौर पर 10 हजार रूपये में टाईगर के दो नाखून पर बात फाइनल हुई। जब आरोपी टाईगर के नाखून लेकर उनके पास पहुंचा तो टीम ने उसे अपने कब्जे में ले लिया। टीम द्वारा कढ़ाई से पूछताछ करने पर उसने अपने साथियों के भी नाम बता दिये। इस पूरी कार्यवाही के लिये पार्क प्रबंधन की 40 सदस्यीय टीम को पूरी रात घने जंगल में इंतजार करना पड़ा और जब रोशनी शुरू हुई तो आरोपी द्वारा बताये गये घर में दबिश दी गई, जिससे बाघ के चार नाखून, मूछ के 11 बाल, बाघ के चमड़े के दो टुकड़े, मोर का पंख, जीआई तार से बने फंदे, वन्यप्राणियों को फंसाने वाला जाल, लोहे की खूंटी, दो छुरी और एक गुलेल जप्त की गई।
इस पूरे मामले में एक बात सामने आई कि पढ़े लिखे लोग भी अंधविश्वास के चलते अपराध को अंजाम दे रहे हैं। गिरफ्तार किये गये तीन आरोपियों में राम मोहन मरावी जो कि माध्यमिक शाला छुई टोला में अतिथि शिक्षक है और एक अन्य आरोपी हिन्दी साहित्य से एमए किया हुआ है। ये दोनों इस पूरे आरोप के मुख्य आरोपी कुंवर बैगा के साथ मिलकर वारदात को अंजाम दे रहे थे। सुधीर मिश्रा ने बताया कि इसके पहले भी जप्त किये गए दुर्लभ कछुए और तेंदुए की खाल के पीछे भी नोटों की झड़ी कराने की बात सामने आ चुकी है।
कान्हा टायगर रिजर्व के संचालक संजय शुक्ला ने बताया कि मुखबिर के द्वारा सूचना प्राप्त हुई थी कि मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ की सीमा से लगे कान्हा राष्ट्रीय उद्यान के बफर जोन के ग्राम गढ़ी से तीन आरोपियों को टाईगर के नाखून, मूछ के बाल, चमड़ा व अन्य सामग्रियों के साथ गिरफ्तार किया गया है। संचालक ने बताया कि आरोपियों को गिरफ्तार करने के बाद इस पूरे मामले की सूक्ष्मा से जांच कर यह पताया लगाने के प्रयास किये जा रहे हैं कि कहीं वन्यप्राणियों के शिकार में योजनाबद्व तरीके से गिरोह बनाकर अन्य लोग भी तो उनका साथ नहीं दे रहे हैं। जप्त की गई सामग्री का डीएनए टेस्ट कराकर यह पता लगाया जायेगा कि बाघ के नाखून, मूछ के बाल और चमड़े के टुकड़े एक ही बाघ के हैं या अलग-अलग बाघों के। शिकार स्थल के बारे में भी जानकारी हासिल की जा रही है। इस काम में डॉग स्काड को जबलपुर से मदद के लिए बुलाया जा रहा है। वन्य प्राणियों के लिहाज से इस क्षेत्र को काफी संवेदनशील बताते हुए पार्क संचालक सुरक्षा का भरोषा दिला रहे है।
इस पूरी कार्यवाही में सहायक संचालक सुधीर मिश्रा, परिक्षेत्र अधिकारी सूपखार एनपी तिवारी, परिक्षेत्र अधिकारी समनापुर देवेश खराड़ी, परिक्षेत्र अधिकारी गढ़ी बफर, शिव काकोडिय़ा, वन रक्षक अनूप परमार, शिवम तिवारी, मनोज मिश्रा, नवीन चंद्र मिश्रा, अशोक बंजारा, नारायण मरावी व छोटू ड्रायवर की उल्लेखनीय भूमिका रही।
रिपोर्ट- @सैयद जावेद अली