शिमला : हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड ने अध्यापक पात्रता परीक्षा-2016 (टेट) का परिणाम घोषित कर दिया है। परिणाम बेहद शर्मनाक आया है। टेट पास करने वालों की संख्या जानकर आपके होश उड़ जाएंगे। अध्यापक पात्रता परीक्षा-2016 में मेडिकल स्ट्रीम से कुल 5306 आवेदकों ने अप्लाई किया था। इनमें से 5021 परीक्षा में बैठे।
इनमें से सिर्फ 184 ही पास हो पाए हैं यानी 4837 फेल हो गए हैं। परिणाम 3.66 फीसदी रहा है। नॉन मेडिकल स्ट्रीम से कुल 7192 आवेदकों ने अप्लाई किया था। इनमें से 6700 परीक्षा में बैठे। इनमें से सिर्फ 806 ही पास हो पाए हैं यानी 5894 फेल हो गए हैं। परिणाम 12.03 फीसदी रहा है।
बोर्ड ने चार सितंबर को जेबीटी और शास्त्री की परीक्षा ली थी। जेबीटी में 8049 अभ्यर्थियों में से 3391 अभ्यर्थी पास हुए, जबकि शास्त्री में 3714 में से 1780 अभ्यर्थी पास हुए। जेबीटी का परिणाम 42.13 और शास्त्री का परिणाम 47.93 फीसदी रहा है।
दस सितंबर को हुई भाषा अध्यापक के 5021 में से 1142, 11 सितंबर को टीजीटी आर्ट्स की परीक्षा में 33368 में से 12130 अभ्यर्थी पास हुए हैं। भाषा अध्यापक का परिणाम 19.12 फीसदी और टीजीटी आर्ट्स का परिणाम 36.35 फीसदी रहा है।
स्कूल शिक्षा बोर्ड के सचिव डॉ. मेजर विशाल शर्मा ने बताया कि टेट परीक्षा का परिणाम बोर्ड की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है। परिणाम अस्थाई आंसर की पर दर्ज की गई आपत्तियों पर विशेषज्ञों की समीक्षा के बाद स्थाई आंसर की के आधार पर निकाला गया है।
स्कूल शिक्षा बोर्ड की छह विषयों में ली गई अध्यापक पात्रता परीक्षा के लिए 66647 अभ्यर्थियों को रोल नंबर जारी किए गए थे। इसमें से विभिन्न विषयों में कुल 62824 अभ्यर्थी परीक्षा में बैठे थे। बोर्ड ने करीब दो माह बाद परीक्षा का परिणाम घोषित किया है।
अध्यापक की पात्रता के लिए देश भर में विभिन्न स्कूल शिक्षा बोर्डों के माध्यम से संचालित की जाने वाली अध्यापक पात्रता परीक्षा के पैटर्न में फेरबदल करके इसे आसान बनाने का कोई फायदा नहीं हुआ है। पिछले सालों के मुकाबले प्रश्न पत्र के पैटर्न को बदलकर इसे आसान करने के बाद भी केवल टीजीटी आर्ट्स को छोड़कर किसी भी विषय के परीक्षा परिणाम में कोई सुधार नहीं हुआ है।
बल्कि आसान पेपर डालने के बाद भी पिछले साल के मुकाबले इस साल परिणाम की प्रतिशतता कम रही है। सूचना के अनुसार टेट परीक्षा से पूर्व दिल्ली में देश भर के राज्य स्कूल शिक्षा बोर्डों की बैठक हुई थी।
बैठक में अध्यापक पात्रता परीक्षा के पिछले सालों के परिणामों की समीक्षा करने के बाद परीक्षा को आसान बनाने पर सहमति बनी थी। इसी तर्ज पर इस बार अध्यापक पात्रता परीक्षा में कई फेरबदल करके इसे आसान किया गया था। लेकिन, इसका कोई फायदा नहीं हुआ।