नई दिल्ली- दवा बनाने वाली 18 बड़ी कंपनियां दवा नियामकों के टेस्ट में फेल हो गई हैं। इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक सात राज्यों के दवा नियामकों ने 27 दवाओं में गुणवत्ता पर खरा न उतरने, गलत लेबल लगाने, समेत कई अन्य खामियां पाई गई हैं।
जिन कंपनियों पर दवाओं के मानकों पर खरा न उतरने का आरोप है उनमें एबॉट इंडिया, ग्लैक्सो स्मिथकलाइन इंडिया, सन फार्मा, सिप्ला, ग्लेनमार्क जैसी बड़ी कंपनियों के नाम शामिल हैं। इन 18 कंपनियों में दवा बनाने वाली वो दो कंपनियां भी शामिल हैं जो बिक्री के मामले में प्रतिस्पर्धी कंपनियों से कहीं आगे हैं।
टेस्ट पर खरा न उतरने के बाद दो कंपनियों ने बाजार में अपनी दवाओं की बिक्री पर रोक लगा दी है। वहीं एक कंपनी का दावा ये है कि उसने बाजार से गुणवत्ता में फेल दवाओं को वापस ले लिया है।
एबॉट इंडिया की एंटीबायोटिक दवा पेंटाइड्स, एलेम्बिक की एल्थ्रोसिन, कैडिला फार्मा की वासाग्रेन, ग्लेनमार्क फार्मा की सिरफ एस्कॉरिल, टॉरेंट फार्मा की डिलजेम दवा पर दवा नियामकों ने सवाल उठाए हैं।
इसके अलावा 10 अन्य कंपनियों पर भी खराब दवाओं को बेचने का आरोप है। अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की तरफ से भेजे गए सवालों पर आठ कंपनियों ने जवाब दिया है। इन कंपनियों ने दवाओं में खामी की वजह अनाधिकृत डिस्टीब्यूटर्स से दवा लेना, दवा पर जो टेस्ट किया गया वो जरूरी नहीं थी, दवा को लाने ले जाने में हुई गड़बड़ी का हवाला दिया है।
जिन 27 दवाओं पर आरोप है उन पर महाराष्ट्र, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, गोवा, गुजरात, केरल और आंध्र प्रदेश के दवा नियामकों ने टेस्ट कराया था। [एजेंसी]