अमेठी- जब गोद में नाती-पोते खेल रहे होते हैं तो लोग धर्म-कर्म की ओर मुड़ जाते हैं। ऐसे में कोई स्कूल में दाखिला ले ले तो अजीब सा लगता है न! लेकिन 65 साल के नन्हेलाल ने शर्म और अजीब सा लगने की लकीर को पार कर करके अपने गाँव में ही उच्च प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने के लिए दाखिला ले लिया।
पढ़ने-सीखने की कोई उम्र नहीं होती इस बात को सभी मानते हैं जिहां ऐसा ही कारनामा अपने जीवन के 65 बसन्त देख चुके एक बुजुर्ग ने साबित करके दिखाया है।
दरअसल अमेठी के मुसाफिरखाना विकासखण्ड अंतर्गत दादरा गाँव के नन्हेलाल (65 साल) बचपन में पढ़ाई पूरी नहीं कर सके। लिहाजा, इस उम्र में उन्होंने उच्च प्राथमिक स्कूल में दाखिला ले लिया। अब वो सुबह-सुबह स्कूल यूनिफॉर्म पहन कर विद्यालय पहुंचते हैं और छोटे बच्चों के साथ पढ़ाई का मजा ले रहे हैं।
दादरा गाँव में बाग़ की रखवाली कर रहे 65 वर्षीय नन्हेलाल नन्हे मुन्हे छात्रों को देखकर इस कदर आकर्षित हुए कि विगत जुलाई माह से प्रतिदिन विद्यालय आने लगे। जिसकी लगन को देखकर प्रधानाध्यापक राम अंजोर और सहायक अध्यापक असगर अली ने बच्चों के बीच बैठकर पढ़ने की अनुमति दे दी।
अमेठी बीएसए राज कुमार पंडित का कहना है कि नियमो के मुताबिक नन्हेलाल का नाम तो रजिस्टर में दर्ज नही हो सकता। लेकिन वह पढ़ाई कर रहा है। एक खेल प्रतियोगिता में अपने साथी सहपाठियों का हौसला अफजाई करने पहुँचे। नन्हेलाल को यूनिफार्म में देख अमेठी डी यम चंद्रकांत पाण्डेय व राज कुमार पंडित ने सम्मानित किया। आज नन्हेलाल जनपद में कौतूहल का केन्द्र बने हुए है। कहते हैं पढ़ाई की उम्र नहीं होती, कभी भी कुछ सीखने को मिले तो इंसान को उसे ग्रहण करना चाहिए और जब इंसान का जज्बा और जुनून जब सातवें आसमान पर हो, तब वह कुछ भी कर सकता है।
रिपोर्ट-@राम मिश्रा