लखनऊ- उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शुक्रवार को खुलकर कांग्रेस के साथ गठबंधन की वकालत की। उन्होंने कहा कि अगर दोनों पार्टियां अगला विधानसभा चुनाव मिलकर लड़ती हैं तो 300 से अधिक सीटों पर जीत हासिल की जा सकेगी। हालांकि, साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि समाजवादी पार्टी अपने दम पर राज्य की सत्ता में वापसी करने में सक्षम है।
दिल्ली में एक कार्यक्रम में अखिलेश ने यह टिप्पणी की। एक सवाल पर अखिलेश ने कहा कि कांग्रेस के रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने नेताजी (मुलायम सिंह यादव) से मुलाकात की थी। प्रशांत किशोर उनसे भी मिले थे।
उन्होंने उनसे कहा कि सपा अपने दम पर राज्य में बहुमत हासिल करेगी, लेकिन अगर उनके साथ कांग्रेस आती है तो गठबंधन राज्य की 404 सीटों में से 300 पर जीत हासिल कर सकता है। साथ ही अखिलेश ने यह भी कहा कि किसने प्रशांत किशोर की नेताजी से मुलाकात करवाई। इसे जानने में उनकी भी रुचि है।
एक सवाल पर अखिलेश ने कहा कि किसी भी गठबंधन में लेन-देन होता ही है लेकिन वह कांग्रेस को एक जूनियर पार्टनर के रूप में नहीं देखते। गौरतलब है कि अगले साल के शुरू में संभावित विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने अभी तक किसी के साथ गठबंधन नहीं किया है। पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी पूरे राज्य में जोरदार प्रचार करने में जुटे हैं।
काम करने में कोई हस्तक्षेप नहीं
अखिलेश ने अपनी पुरानी टिप्पणी, जिसमें उन्होंने मुलायम को पीएम और राहुल गांधी को उप प्रधानमंत्री बनाने की बात कही थी, को याद करते हुए कहा कि उनका प्रस्ताव अब भी वैध है और इस बारे में कांग्रेस को फैसला लेना है। उन्होंने कहा कि यहां राहुल गांधी नहीं हैं लेकिन उनके पास उनके लोग संदेश पहुंचा देंगे।
कार्यक्रम में कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया और राहुल के जीजा राबर्ट वाड्रा भी मौजूद थे। अखिलेश ने आगे चाचा शिवपाल और अंकल अमर सिंह के हस्तक्षेप के कारण मुख्यमंत्री के रूप में उनके कामकाज पर असर पड़ने की बात को खारिज कर दिया।
उन्होंने कहा कि अगर कोई हस्तक्षेप होता तो वह रिकार्ड समय में एक्सप्रेस वे का काम पूरा नहीं करवा पाते, न ही लखनऊ में 26 महीने में मेट्रो का ट्रायल रन करवा पाते। उन्होंने अमर सिंह पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वह केवल नेता जी की सुनते हैं। वह जो कहते हैं उसको स्वीकार करते हैं।
लेकिन यदि कोई टाइपराइट मुझे हटाने के लिए कहीं से आता है तो वह इसे स्वीकार नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि अगर वह पार्टी प्रमुख होते तो सपा से विवादित नेताओं को बाहर करने का सुझाव देते। गौरतलब है कि कुछ समय पहले अखिलेश और उनके चाचा शिवपाल यादव के बीच तनातनी चरम पर पहुंच गई थी। उन्होंने सपा महासचिव अमर सिंह पर भी कटाक्ष किया।