नई दिल्ली- सुप्रीम कोर्ट फिल्मों से पहले राष्ट्रगान अनिवार्य करने के अपने फैसले पर काफी सख्त है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक याचिका पर सुनवाई करते हुए फिर कहा है कि राष्ट्रगान देश के सभी लोगों के सम्मान से जुड़ा मसला है। फिल्मों से पहले इसे बजाना और इसके सम्मान में खड़ा होना अनिवार्य है। अगर दिन में 40 बार फ़िल्में दिखाई जा रहीं हैं तो भी ये अनिवार्य है चाहे 40 बार ही क्यों न खड़ा होना पड़े।
क्या थी याचिका
दरअसल केरल में आयोजित होने वाले एक अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल के आयोजकों ने याचिका दायर सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि उनके यहां दिन में 40 फ़िल्में भी दिखाई जाती हैं ऐसे में बार-बार राष्ट्रगान बजने से असुविधा हो सकती है। इसके आलावा आयोजकों का तर्क था कि उनके यहां करीब 1500 विदेशी भी आने वाले हैं उनके लिए इस फैसले का पालन करना और भी कठिन होगा। आयोजकों का तर्क था कि कई लोग दिन में कई-कई फ़िल्में देखते हैं ऐसे में बार-बार हर फिल्म से पहले खड़ा होना दिक्कत भरा होगा। आयोजकों की मांग थी कि फिल्म फेस्टिवल्स के लिए इस आदेश में कुछ राहत दी जानी चाहिए।
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस दीपक मिश्रा और अमिताव रॉय की बेंच ने शुक्रवार को आयोजकों से सख्त लहजे में पूछा- क्योंकि कुछ विदेशी इस फिल्म फेस्टिवल में हिस्सा ले रहे हैं और कुछ फिल्मों की स्क्रीनिंग होनी है, सिर्फ इसलिए कि उन्हें दिक्कत न हो देश की शीर्ष अदालत को अपना फैसला बदल देना चाहिए? क्यों देश की शीर्ष अदालत को सिर्फ कुछ विदेशियों को खुश करने के लिए अपना फैसला बदल देना चाहिए? अदालत ने आइल बाद स्पष्ट कहा कि अगर आप एक दिन में 40 अलग-अलग स्क्रीनिंग कर रहे हैं तो भी आपको 40 बार राष्ट्रगान बजाना होगा और उसके सम्मान में 40 बार खड़ा होना ही पड़ेगा।