हैदराबाद : आधार कार्ड पाना कभी भी आसान काम नहीं था। यहां तक कि नवजात बच्चे का भी आधार कार्ड बनाने की योजना है, लेकिन यह किसी को नहीं पता कि आखिर किसी व्यक्ति की आधार कार्ड की जानकारी उसकी मौत के बाद डेटाबेस से डिलीट कैसे की जाए।
आधार कार्ड की जानकारी डिलीट करने को लेकर लोगों के बीच काफी कन्फ्यूजन है। इतना ही नहीं, अगर आप यूआईडीएआई (यूनीक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया) के पोर्टल पर भी खोजेंगे तो आपको इस सवाल का कोई जवाब नहीं मिलेगा कि आखिर उस व्यक्ति का आधार कार्ड का डेटा कैसे डिलीट किया जाएगा, जिसकी मौत हो गई हो। इसके अलावा, ऑफलाइन भी ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है, जिससे किसी मृत व्यक्ति के आधार कार्ड का डेटा डिलीट करने की रिक्वेस्ट की जा सके।
यूआईडीएआई के हैदराबाद के रीजनल ऑफिस के डिप्टी डायरेक्टर जनरल एमवीएस रामी रेड्डी ने कहा अगर कोई मर जाता है और उसका आधार कार्ड का डेटा डिलीट करना है तो इसके लिए राज्य सरकार की तरफ से एक एप्लिकेशन आनी जरूरी है। कर्नाटक सरकार ने की तैयारी, निजी क्षेत्र की नौकरियों में होगा 100% आरक्षण का नियम रेड्डी ने कहा ग्रेटर हैदराबाद म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन (जीएचएमसी) या ग्राम सभा हमें मरने वाले व्यक्ति की जानकारी मुहैया करा सकती है, जिसके बाद हम उस व्यक्ति का यूनीक आधार कार्ड नंबर डीएक्टिवेट कर देंगे। वे बोले कि एक बार यह नंबर डिलीट कर दिए जाने के बाद फिर किसी और को नहीं दिया जाएगा।
रेड्डी के अनुसार, किसी व्यक्ति की मौत के बाद उसके आधार कार्ड की जानकारी डिलीट करने के दिशा-निर्देश हाल ही में जारा किए गए हैं, जिसकी वजह से लोगों को इसकी जानकारी बहुत ही कम है। जब इस बारे में जीएचएमसी और ग्राम पंचायत के लोगों से बात की गई तो पता चला कि उन्हें भी इसकी कोई जानकारी नहीं है।
जीएचएमसी ने कहा कि हम अस्पताल या फिर मृत व्यक्ति के परिवार द्वारा दी गई जानकारी के हिसाब से डेथ सर्टिफिकेट जारी करते हैं। अगर हमसे कोई कहता है कि वह मृत व्यक्ति का आधार कार्ड का डेटा डिलीट करना चाहता है तो हमें यह नहीं पता है कि यह प्रक्रिया कैसे काम करती है।