हरदा- मध्य प्रदेश के हरदा जिले में एक छोटा सा मासूम बच्चा हुआ माँ की आँखों से दूर यह मामला हरदा जिला चिकित्सालय में लगातार हो रही ऐसी लापरवाही जिसे आप सुन कर देख कर अपना आपा को देंगे डॉक्टर से लेकर स्टॉफ तक की लापरवाही कम नहीं हो रही है। इसका खामियाजा शुक्रवार को एक मासूम की मौत के रूप में सामने आया है। खाली सिलेंडर से ही मासूम को ऑक्सीजन देने का ढोंग किया जा रहा था, जिसमें बच्चे ने दम तोड़ दिया।
परिजनों द्वारा जब स्टॉफ पर लापरवाही का आरोप लगाया तो आनन-फानन में शाम साढ़े 6 बजे प्रबंधन ने खाली सिलेंडरों की जगह भरे सिलेंडर लगा दिए। बच्चे की मौत होते ही उसकी मां बेहोश हो गई, जो अब तक होश में नहीं आ पाई है। डॉक्टरों द्वारा उसका इलाज किया जा रहा है।
शहर के वार्ड २८ महारानी लक्ष्मीबाई वार्ड की शकूर कॉलोनी में रहने वाले आशीष सोनी का तीन महीने का बेटे केशव को बुखार, निमोनिया हो गया था। सुबह 11 बजे उसे जिला अस्पताल में लाया गया था। डॉक्टर ने उसे आईसीयू में भर्ती किया गया था। कमरे में लगी नली के जरिए बच्चे को ऑक्सीजन दिया जा रहा था, लेकिन ऑक्सीजन नहीं मिलने से बच्चे की तबियत बिगड़ रही थी। जिस पर उसकी बुआ अंजू द्वारा स्टॉफ नर्स को बताया गया, किंतु वे ऑक्सीज होने का हवाला देते रहे। इसके बाद सिलेंडर की जांच की गई तो वह खाली मिला। दोपहर साढ़े 3 बजे तक बच्चे को इंजेक्शन भी नहीं लगाए गए।
वहीं शाम तक एक भी डॉक्टर बच्चे को देखने के लिए नहीं आया। शाम साढ़े 5 बजे बच्चे ने ऑक्सीजन के अभाव में दम तोड़ दिया। परिजनों ने डॉक्टर, स्टॉफ पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा किया तो दो डॉक्टरों ने आकर जांच की औपचारिकता निभाई। डॉक्टरों द्वारा बच्चे की मौत की पुष्टि करते ही उसकी मां मनीषा सोनी के आंखों से आंसू थम नहीं रहे। रोते-रोते वह बेहोश हो रही है। उसे होश में लाने के प्रयास किए गए लेकिन बेहोशी की हालत में भी भय्यू कैसा होने के बारे में पूछ रही है।
इस समय उस माँ बाप व परिवार पर क्या बीत रही होगी आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते डॉक्टरों को ऐसीं घटनाओ से कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि उन लोगो के लिए यह रोज का काम है सिर्फ बीतती हे तो सिर्फ परिवार या माता पिता को जब अपना कोई इस तरह की घटना का शिकार हो बैठता है इस संबंध में सिविल सर्जन डॉ. एसके सेंगर ने बताया की बच्चे के दिल में छेद था। इस बीमारी की वजह से उसकी मौत हुई है।
अस्पताल में सिर्फ एक खाली सिलेंडर, जबकि होने चाहिए तीन भरे
आईसीयू में ऑक्सीजन भेजने के लिए नर्स रूम में ही फिलिंग प्वाइंट है। इस प्वाइंट पर सिलेंडर लगाने के लिए 4 नॉब्स है। नियमानुसार फिलिंग प्वाइंट पर कम से कम 3 सिलेंडर होने चाहिए। इसलिए क्योंकि सिलेंडर खत्म होने पर आपात स्थिति न बने। लेकिन यहां केवल एक ही सिलेंडर था, वह भी खत्म हो गया था।
बवाल बढ़ा तो मीडिया के सामने ही लगाए दो भरे सिलेंडर
बच्चे की मौत के खबर के बाद अस्पताल प्रबंधन खुद को बचाने में जुट गया। सिविल सर्जन ने पहले तो कहा कि सिलेंडर खाली नहीं था, जब मीडिया मौके पर पहुंचा तो प्रबंधन ने आनन-फानन में दो भरे सिलेंडर बुलवाए।
सीएस बोले- बच्चा तो वैसे भी नहीं बचता
बच्चे के दिल में छेद था,यदि ऑक्सीजन चालू होती तो भी वह नहीं बच पाता। ऐसे केस में 15-20 मिनट ऑक्सीजन बंद होने से ज्यादा असर नहीं पड़ता। हालांकि खाली सिलेंडर लगे होने की जांच कराएंगे।
डॉ. श्रीकांत सेंगर,सीएस
पूरे अस्पताल में चीखी, किसी ने मदद नहीं की
बेटे की तबीयत बिगड़ी तो नर्स से लेकर डॉक्टरों के आगे हाथ जोड़े। डॉक्टर मुझे देखते रहे, लेकिन मदद किसी ने नहीं की। ऑक्सीजन सिलेंडर खाली हो गया था। बेटे को सांस न लेने के कारण उसे झटके आ रहे थे। हम उसे नहीं बचा पाए। मेरी आंखों के सामने उसकी सांसें टूट गईं।
मनीषा, मृत बच्चे की मां
रिपोर्ट- @जितेंद्र वर्मा