नई दिल्ली- सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को जलीकट्टू से जुड़े अध्यादेश पर स्टे दिए जाने से इंकार कर दिया। सर्वोच्च अदालत ने तमिलानाडु सरकार को जवाब देने के लिए 6 हफ्ते का समय दिया है। वहीं अदालत ने जलीकट्टू प्रदर्शन के दौरा हुई हिंसा और बिगड़ी कानून व्यवस्था पर राज्य सरकार को आड़े हाथों लिया है।
बता दें कि अदालत, तमिलनाडु की ओर से पास किए गए अध्यादेश के संबंध में आई एक याचिका की सुनवाई कर रही है। वहीं प्रदर्शन के दौरान हिंसा पर जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई में पीठ ने कहा कि कानून व्यवस्था के तहत ऐसा नहीं होना चाहिए था। दूसरी ओर अदालत ने पूछा कि क्यों सिर्फ तमिलनाडु ही इस मामले में बिल लाया? मामले में कोर्ट ने केंद्र सरकार को इस खेल से जुड़े नोटिफिकेशन को वापस लेने की अनुमति दे दी है। केंद्र सरकार ने कोर्ट के पास एक पत्र दायर किया था, जिसमें नोटिफिकेशन वापस लेने की अनुमति देने के संबंध में कहा गया था। इस नोटिफिकेशन पर कोर्ट ने पहले स्टे लगाया हुआ था। पीठ ने पूछा कि तमिलाडु सरकार, क्यों सर्वोच्च अदालच का अपमन कर रही है।
बता दें कि दरअसल इस महोत्सव को लेकर पिछले साल एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था जिसमें दिखाया गया था कि महोत्सव से पहले बैलों को शराब पिलाई जाती है। बैलों को मारा जाता है जिसके कारण जब दौड़ शुरू होती है तो वो गुस्से में बेतहाशा दौड़ते हैं। इस वीडियो के बाद एनीमल वेल्फेयर बोर्ड ऑफ इंडिया, पीपुल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनीमल्स (पेटा) इंडिया और बैंगलोर के एक एनजीओ ने इस दौड़ को रोकने के लिए याचिका दायर की थी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने जलीकट्टू पर रोक लगा दी थी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ओर से बैन लगाए जाने के बाद काफी हिंसात्मक प्रदर्शन किए गए साथ ही तमाम पुलिस थानों को आग लगा दी गई थी। [एजेंसी]