खंडवा : खंडवा में आदिवासी समुदाय के एक गुट ने मुख्यमंत्री सामूहिक कन्यादान योजना का विरोध किया है। खरगोन जिले के सेंधवा में 19 फरवरी को 1100 जोड़ो का सामूहिक विवाह होने जा रहा है जिसमे अधिकान्स आदिवासी है। इन लोगों का कहना है कि सामूहिक विवाह में आदिवासियों का विवाह हिन्दू रीती रिवाज से किया जाता है ,जो कि आदिवासी संस्कृति के विरुद्ध है। इन लोगों ने यह भी कहा कि होली के पहले आदिवासियों की शादी करवाकर हमारी सांस्कृतिक विरासत को ख़त्म किया जा रहा है। इन लोगो ने आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों की बात कहते हुए राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन भी सौपा।
खंडवा में पढ़े लिखे आदिवासियों के एक समूह ने मुख्यमंत्री सामूहिक कन्यादान योजना में आदिवासी युवक युवतियों की शादी करने का विरोध किया है। इन लोगों का कहना है कि आदिवासियों की शादी होली जलने के बाद होती है और आदिवासियों की शादी के तौर तरीके और संस्कृति अलग है। डा.धनेश्वर नाग ने कहा की सामूहिक शादी में आदिवासियों की सांस्कृतिक विरासत ख़त्म होती जा रही है। इन्होंने आरोप लगाया कि सरकार हिन्दू रीती रिवाज से विवाह कराकर आदिवासियों की शादी की परंपराओं को समाप्त करना चाहती है।
इन लोगों ने राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौपते हुए संविधान के अनुच्छेद 248 के तहत आदिवासियों को मिले अधिकारों का उल्लेख किया और आदिवासियों की संस्कृति और परंपरा में हस्तक्षेप करने वालों के खिलाफ कार्यवाही की बात कही। इधर जिला प्रसाशन के पास सामूहिक शादी का विरोध करने जैसी कोई जानकारी नहीं है। पंचायत और समाज कल्याण विभाग के उप संचालक बी सी जैन का कहना है कि सामूहिक शादी में शामिल होने वाले परिवार स्वयं अपना पंजीयन कराते है। और सामूहिक शादी पूरे शुभ मुहूर्त देखकर की जाती है।
विरोध करने वालों में एक डॉक्टर और अधिकांश लोग पढ़े लिखे क्षेत्र से है। यह लोग खण्डवा में आदिवासियों की भुखमरी और कुपोषण जैसे गंभीर विषय पर इससे पहले कभी फिल्ड में काम करते नहीं दिखे।