खंडवा: खंडवा मंडी में अपनी उपज का सही भाव नहीं मिलने से किसान निराश है। इन दिनों खंडवा मंडी में गेंहू व चने की अच्छी आवक है। समर्थन मूल्य पर देर से खरीदी होना भी किसानों को खलने लगा है।
खंडवा मंडी में दो किस्म का चना आता है जिसमे काटे वाला चना और चापा वैराइटी का चना की फसल अधिक मात्रा में यहाँ आती है। दोनों की वैराइटी अलग होने के बाद भी इन्हें एक ही मूल्य पर ख़रीदा जा रहा है। यहाँ पहुचे किसानों से जब हमारी टीम ने बात की तो पता चला की एक दिन पहले खंडवा मंडी में चने की उपज के दाम अधिक थे लेकिन आज दाम में अचानक कमी आगई। किसानों ने आरोप लगाया की जब आवक अधिक होती है तो मंडी प्रशासन व्यापारियों से मिल कर दाम गिरा देता है जिसके चलते किसनों को लागत मूल्य भी नहीं मिलने में परेशानी होती है। खंडवा मंडी में आज चने का भाव 37 सौ रूपये से शुरू हो कर 43 सौ रूपये पर रुक गया। किसानों ने इतने काम भाव पर निराशा जताते हुए कहा की चने की समर्थन मूल्य में बिक्री की जानी चाहिए ताकि किसानों को उचित दम मिल सके।
इधर व्यापरियो का कहना है की यहाँ अलग अलग किस्मो का चना बिकने आता है लेकिन चने की उपज के भाव दिल्ली से तय होते है ऐसे में वह भी कुछ नहीं कर सकते।
वही अगर गेहू की बात करे तो खंडवा मंडी में सबसे ज्यादा पैदावार गेहूं की आती है बावजूद इसके यहाँ किसानों को सही दाम नहीं मिलपाते। गेहूं की फसल की अच्छी कीमत नहीं मिलने से किसानों का कहना है कि अगर समय से समर्थन मूल्य पर खरीदी शुरू कर दी जाए तो उन्हें उचित दाम मिलने लगेंगे जिस से उनका कुछ फायदा हो सकेगा। मंडी पहुचे किसान आकाश पटेल ने कहा की गेहूं की ऊपज जनवरी से ही अनाज मंडी में आना शुरू हो जाती है जबकि समर्थन मूल्य पर खरीदी मार्च में शुरू होती है तब तक अगली फसल लगाने की तैयारी करना पड़ती है ऊपर से बैंक और दुकानदारो का कर्ज चुकाने का झंझट अलग रहता है ऐसे में किसानों को मज़बूरी में अपनी उपज को सस्ते दाम पर ही बेचना पड़ता हैं। किसान मोहन सिंह कहा बताया कि समर्थन मूल्य पर खरीदी शुरू तब होती है जब किसान अपनी उपज व्यपारियों को बेज देते है ऐसे में किसान की सारी मेहनत बर्बाद होजाती हैं।
मंडी प्रशासन भी मंडी में अच्छी आवक की बात को स्वीकार करता है पर समर्थन मूल्य के लिए एजंसी नियुक्त नहीं होने से वह भी अपनी असमर्थता जताते है। मंडी निरीक्षक उदय पाटीदार का कहना है कि जब तक सरकार समर्थन मूल्य पर ख़रीदे के लिए एजेंसी नियुक्त नहीं करती तब तक खुली बोली लगा कर ही उपज की बिक्री की जाती है।
रिपोर्ट @जावेद खान /विजय तीर्थानि