नई दिल्ली- वित्त मंत्री अरुण जेटली ने दिल्ली मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मानहानि मुकदमे में अपना पक्ष रखते हुए कई बार भावुक हुए। जेटली ने कहा मैंने अपने पूरे राजनीतिक जीवन में कभी भी राजनीतिक आलोचना को लेकर कुछ भी नहीं कहा। लेकिन इस बार मुझे कोर्ट आकर मानहानि का केस करना पड़ा क्योंकि इस बार मेरी निष्ठा और सच्चाई पर सवाल खड़े किए गए।
जेटली ने एक सवाल के जवाब में कहा कि मैं 1977 से वकालत कर रहा हुं। राज्यसभा में विपक्ष का नेता रहा हुं। समाज, परिवार और दोस्तों के बीच में मेरी छवि साफ है। मीडिया रिपोर्ट से मुझे पता लगा कि दिल्ली सचिवालय में जो रेड हुई उनमें केजरीवाल की तरफ से कहा गया कि ये मेरे कहने पर हुआ है। लेकिन, मुझे रेड की कोई जानकारी नहीं थी। इस रेड के बाद ही मेरे ऊपर डीडीसीए से जुड़ी चीजों को लेकर मुझे निशाना बनाया गया।
जेटली ने अपने बचाव में कहा कि नौकरशाह शांघी पर उन्होंने कभी कोई दवाब नहीं डाला, और न ही डीडीसीए से जुड़ी कोई रिपोर्ट मनमुताबिक बनाने के लिए कभी कोई मीटिंग की या दबाव डाला। जो कुछ भी मेरे बारे में कहा गया उसे प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक, और सोशल मीडिया पर बार-बार दिखाया गया। मेरी इमेज को इससे काफी धक्का लगा।
जेटली और जेठमलानी के बीच हुए सवाल-जवाब में दोनों तरफ के वकीलों के बीच में कई बार तीखी नोक-झोक भी हुई। जिसके बाद कोर्ट रजिस्ट्रार के बीच-बचाव के बाद दोनों पक्षों को मुश्किल से शांत कराया गया। आपको बता दें कि मंगलवार को भी इस मामले की सुनवाई जारी रहेगी।
क्या है मामला?
दरअसल अरविंद केजरीवाल ने अरुण जेटली पर दिल्ली और जिला क्रिकेट एसोसिएशन (डीडीसीए) में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। जेटली साल 2013 तक डीडीसीए के अध्यक्ष थे। उन्होंने ये ओहदा 13 साल तक संभाला था। आरोपों के खिलाफ जेटली अदालत गए और केजरीवाल के खिलाफ 10 करोड़ रुपये का मानहानि दावा किया। इसके अलावा उन्होंने पटियाला हाउस कोर्ट में इसी मामले में आपराधिक मानहानि का मामला भी दर्ज करवाया है। [एजेंसी]