पणजी : गोवा में बतौर सीएम मनोहर पर्रिकर के शपथ लेने पर सस्पेंस गहरा गया है। दरअसल, राज्यपाल से अनुमति मिलने के बाद पर्रिकर ने रक्षा मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था और तय हुआ है कि मंगलवाल शाम पांच बजे वे सीएम पद की शपथ लेंगे। राज्यपाल ने उन्हें बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन का वक्त दिया है।
बहरहाल, पूरे मामले में तब नया मोड़ आ गया, जब कांग्रेस ने भाजपा को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने के राज्यपाल के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी। होली के दिन याचिका दायर की गई और छुट्टी होने के बावजूद इसे स्वीकार कर लिया गया। मंगलवार को इस पर सुनवाई होगी।
यानी यहां पणजी में शपथ ग्रहण की तैयारियां चल रही हैं और वहां दिल्ली में इस पर ग्रहण लगाने की कोशिशें हो रही हैं।
कांग्रेस की ओर से सोमवार शाम प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जेएस खेहर के निवास पर याचिका दायर की गई। न्यायमूर्ति जेएस खेहर ने याचिका स्वीकार कर ली और मंगलवार को सुनवाई के लिए विशेष पीठ का गठन भी कर दिया। वैसे अभी सुप्रीम कोर्ट में होली की हफ्ते भर की छुट्टी चल रही है।
गोवा विधानसभा में कुल 40 सीटें हैं और सरकार बनाने के लिए 21 विधायकों का समर्थन जरूरी है। इन चुनावों में भाजपा को 13, तो उसके समर्थक दलों, एमजीपी को 03 और जीएफपी को भी 03 सीटें मिली हैं। भाजपा का दावा है कि 03 निर्दलीय भी उसके साथ हैं। इस तरह उसके पास कुल विधायकों की संख्या 22 होती है। इसी आधार पर पार्टी ने सरकार बनाने का दावा भी पेश किया है।
वहीं कांग्रेस ने 17 सीटें जीती हैं और उसके साथ एक सीट के वाली राकांपा भी है। कांग्रेस का आरोप है कि सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने भाजपा को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया। कोर्ट में इसी तर्क को आधार बनाते हुए याचिका दाखिल की गई है।
भाजपा के दावे के साथ ही राज्यपाल ने मनोहर पर्रिकर को सीएम पद की शपथ लेने और उसके 15 दिन भीतर बहुमत साबित करने को कहा था। इसके बाद पर्रिकर ने रक्षा मंत्री पद से इस्तीफा भी दे दिया है।