मुबारक हो आपके यहाँ चुनाव सम्पन्न हो गए और आपको फिर से नई नौकरी मिल गई । सोचिए मत सरकार ने कोई नई योजना नही लाँच की है और नही किसी तरह की कोई वैकेन्सी निकली है और तो और न ही किसी तरह का बेरोजगारी भत्ता देने की घोषणा की है । आपको नौकरी देने वाला व्यक्ति कोई और नही आप स्वंय ही है , पढ़कर या सोचकर थोड़ा अचम्भा जरुर हो रहा होगा आपको । दिमाग पर ज्यादा जोर नही दीजिए बस एक बार अपने आपको शीशे मे देखिए और चंद दिन पहले किए चुनाव विश्लेषण का याद कर लीजिए ।
हम हर बार कुछ ऐसा ही करते है , पहले तो हम बिना वोट दिए अपने नेताओं की कमियां गिना कर उनकी आलोचना करते थे फिर अब जब समय के साथ देश की जनता थोड़ी बौद्दिक हुई है तो फिर वोट देने के बाद नेता में कमियां गिनाने लगे है और सबसे गजब संयोग तो तब हो जाता है जब हम उसी नेता को भला-बुरा कह रहे होते है जिसको थोड़ी देर पहले वोटिंग पोल पर वोट देकर आए होते है । अगर आपको अपने नेता से इतनी ही शिकायत रहती है तो या आप उसे वोट मत दीजिए या तो आप अपना उम्मीदवार बदल लीजिए , अब तो चुनाव आयोग ने आप जैसे कुछ होनहार मतदातों के लिए नोटा जैसा शानदार विकल्प भी निकाल दिया है । चाय की चुस्की के साथ आप जैसे कुछ तथातथित जागरुक मतदाता देश के राजनैतिक भविष्य पर जिस तरह चिंतन्न-मनन करते है , उसको देखकर कोई कह ही नही सकता है आप मे से अधिकांश लोग वही है जिन्हें अपने क्षेत्र के पार्षद का नाम भी ठीक से पता नही होगा । (सांसद और विधायक तो फिर दूर की बात है ) आप आलोचना करने जैसी नौकरी पाकर इतने खुश हो जाते है कि समाधान देने जैसी नौकरी की तरफ ध्यान ही नही दे पाते है और ध्यान देंगे भी कैसे ? , आलोचना करने की व्यवस्तता के कारण आपके पास समय बचता ही कहाँ है ? जो आप समाधान पर ध्यान दे पाएं ।
राजनीति और चुनाव मे नेताओं की क्रियाकलाप की आलोचना करना गलत नही है या यूँ कहे कि बिल्कुल भी गलत नही है और तो और ये तो आपका अधिकार भी है लेकिन ये गलत तब गलत हो जाता है जब अधिकार – अधिकार चिल्लाकर अधिकार के शोर मे कृत्वयों को धूमिल करने का प्रयास किया जाता है । घर के बाहर सही जगह पर कचरा न फेंकने वाले गन्दगी के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराते है , ट्रैफिक पर सिंग्लन तोड़ कर जाने वाले दुर्घटना का शिकार होने पर सड़को की आड़ लेकर सरकार को कोसते है । हर बार अपनी कमी को छुपाने के लिए दूसरो पर दोषारोपण करने की आदात से अब हमे वक्त के साथ ऊपर उठने की जरुरत है वरना गलत-गलत चिल्लाने के शोर मे हम एक दिन ऐसा खो जाएंगे कि हम न चाहते हुए भी सही की परिभाषा भूल जांएगे ।
लेखिका – सुप्रिया सिंह
संपर्क – singh98supriya@gmail.com
Chappra , Bihar