बुरहानपुर : बुरहानपुर के ऐतिहासिक पक्ष और पौराणिक पहलुओं को एक सूत्र में पिरोकर ’’ब्रघ्नपुर’’ से आज तक का बुरहानपुर की जानकारियों को संजोकर पुस्तक स्वरूप में इसका प्रकाशन हो रहा है। गुड़ी पड़वा-चैत्रनवरात्र के अवसर पर पौराणिक ’’ब्रघ्नपुर’’ आज का बुरहानपुर यह कवर सहित 72 पृष्ठ की होगी। जिसमें नगर के वरिष्ठ नागरिकों और इतिहास में रूचि रखने वाले ज्ञाताओं ने मिलकर आधुनिक तकनीक से नक्शे, रंगीन चित्र आदि विगत एक दशक की मेहनत दौरान संग्रहित कर इसे रोचक एवं तथ्यात्मक बनाया है।
इस पुस्तक में निमाड़, मालवा और खानदेश के सांस्कृतिक भाषाई, राजनैतिक इतिहास का त्रिवेणी संगम है। बुरहानपुर के 333 किमी. की चतुर्सीमा में ओंकारेश्वर, महाकालेश्वर, त्र्यंबकेश्वर, घृष्णेश्वर, अवढ़ा नागनाथ, परली वैजनाथ, नागेश्वर, भीम शंकर छः ज्योतिर्लिंग के मध्य स्थित आदिकालीन प्रागेतिहासिक इस नगर की धरोहरों पर विशेष जोर दिया गया है। इसके 200 कि.मी. की परिधि में विश्वविख्यात अजंता-एलोरा, मांडू, उज्जैन (महाकाल), इन्दौर, महेश्वर व 110 कि.मी. की परिधी में नर्मदा डेम, हनुमंतिया, टाइगर रिजर्व फारेस्ट ’’चिकलधरा’’ (धारणी) शेगांव में गजानन महाराज का समाधिस्थल, आनंद सागर उद्यान को भी प्रस्तावना में दर्शाया जाकर बुरहानपुर को सचखंड (नांदेड़), शिर्डी, शनि शिंगणापुर, नासिक, धुनीवाले दादाजी का दरबार (खंडवा), पचमढ़ी जैसे राष्ट्रीय महत्व के धार्मिक व पर्यटन स्थलों का हृदय स्थान बताया गया है।
इसमें सृष्टि की समृद्ध संरचना सतपुड़ा का शिखर और ताप्ती का सुरम्य तट बुरहानपुर की शान के साथ ऐतिहासिक इंजीनियरिंग का अनूठा नमूना कुंडी भंडारा, शाही हमाम, अकबरी सराय, जम्बूपानी की सुरम्य गुफाएं, सीतागुफा बलड़ी, बादलखोरा जैसे ईको टूरिज्म स्तर के पर्यटन स्थलों का ‘‘पौराणिक ब्रघ्नपुर आज का बुरहानपुर‘‘ पुस्तक में विस्तृत विवरण मिलेगा।
भगवान श्रीराम के चित्रकूट से पंचवटी (नासिक) वनगमन काल के दौरान बुरहानपुर क्षेत्र से गुजरने की पुष्टि हेतु विकी पीडिया में दर्शित नक्शे को भी इसमें प्रकाशित किया गया है। बलराज ना.नावानी ने लिखा है कि चित्रकुट से पंचवटी के मध्य ’’ब्रघ्नपुर’’ का मार्ग ही अत्यंत सरल और सुगम रहा होगा इसीलिए तो राम हो या रहीम, नानक हो या कबीर, श्री गुरूगोविन्दसिंहजी का दक्षिण जाने हेतु पर्यटन मार्ग भी बुरहानपुर ही रहा। 19वीं शताब्दी में अयोध्या के निकट छपैय्या से देश में भ्रमण हेतु स्वामी नारायण संप्रदाय के श्री सहजानंदजी महाराज ने भी ब्रघ्नपुर (बुरहानपुर) मार्ग का ही अनुगमन किया था।
जिनका मंदिर स्वामीनारायण मंदिर के नाम से प्रख्यात है। इन जानकारियों के संकलन में मुख्य भूमिका बलराज ना.नावानी की रही तथा पूर्व सांसद स्व.परमानंदजी गोविंदजीवाला द्वारा गहन अध्ययन के आधार पर खोजी गई जानकारियों को इसमें समावेशित कर पुस्तक को तथ्यात्मकता दी गई।
ताप्ती महात्म्य, स्कंध पुराण, रामायण आदि पौराणिक जानकारियां पं.लोकेशजी शुक्ल (गुरूजी) द्वारा उपलब्ध कराकर इस पुस्तक को नई दिशा प्रदान की है। जिसमें पं.तेजपाल भट्ट, डाॅ.मेजर गुप्ता, होशंग हवलदार, कमरूद्दीन फलक आदि ने अपने-अपने अनुभवों के आधार पर इतिहास संकलन कर ‘‘पौराणिक ब्रघ्नपुर आज का बुरहानपुर‘‘ को तथ्यपरक, पठनीय और रूचिकर बना दिया है। यह पुस्तक इसी माह में पाठकों, जिज्ञासुओं हेतु उपलब्ध हो रही है।