नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड को लेकर केंद्र सरकार को फटकार लगाई है। शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार से पूछा कि आखिरकार आप आधार कार्ड को अनिवार्य कैसे बना सकते हैं। जबकि हमने इस बाबत पहले ही आदेश दे दिया है कि आधार कार्ड को सरकार अपनी योजनाओं के लिए अनिवार्य नहीं बना सकती है। यह सिर्फ वैकल्पिक दस्तावेज़ के तौर पर मांगा जा सकता है।
इस पर केंद्र सरकार की तरफ से पेश अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि पैन कार्ड के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य किया गया। लोग कई पैन कार्ड बनवा लेते हैं और इनके जरिए फर्जी कंपनियों यानी शेल कंपनियों में फंड डाइवर्ट करवा लेते हैं। जस्टिस अर्जन सीकरी की अध्यक्षता वाली बेंच ने सरकार से पूछा कि क्या सिर्फ यही एक रास्ता है? इस पर अटॉर्नी जनरल ने जवाब दिया कि इसको सिर्फ इसी तरह ही रोका जा सकता है।
सरकार ने पैन कार्ड के लिए आधार बनाया है जरूरी
अब बुधवार को सुप्रीम कोर्ट इस पर विस्तार से सुनवाई करेगा और मामले को निपटाएगा। याचिकाकर्ता बिनोय बिस्वाम्म ने अपनी याचिका में कहा कि सरकार ने आधार कार्ड को पैन कार्ड के लिए अनिवार्य कर दिया है, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि सरकार इसे सरकारी अनाज, एलपीजी और इनकम टैक्स वगैरह के लिए अनिवार्य रूप से नहीं मांग सकती है। उन्होंने कहा कि सरकार ने अब यह नियम बना दिया है कि अगर आधार कार्ड नहीं होगा, तो पैन कार्ड नहीं बन सकता है।
अगर पहले से पैन कार्ड बना है, तो आधार कार्ड भी इनकम टैक्स विभाग को देना होगा. वरना पैन कार्ड रद्द हो सकता है। याचिकाकर्ता के मुताबिक जब आधार कार्ड और निजता में हनन पर बहस चल रही है, तो ऐसे में सरकार इसे अनिवार्य कैसे कर सकती है? वो भी तब जबकि सुप्रीम कोर्ट पहले ही इसे अनिवार्य न बनाने का आदेश जारी कर चुका है।