कहते हैं कि इंसानियत सबसे बड़ी होती है, इससे ऊपर न तो धर्म होता है और न ही कोई रिश्ता। बीजेपी के एक विधायक ने इस बात को सच साबित कर दिया। उत्तर प्रदेश के एटा सदर विधानसभा से बीजेपी विधायक विपिन कुमार ने मुस्लिम परिवार की जान बचाई। आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर मुस्लिम परिवार को भयानक एक्सीडेंट हो गया था।
दुर्घटना के बाद परिवार सड़क पर पड़ा तड़प रहा था, लेकिन किसी ने उन्हें अस्पताल पहुंचाने की जहमत नहीं उठाई। इस दौरान बीजेपी विधायक ने उस परिवार की मदद की। विधायक आगरा से लखनऊ विधानसभा के लिए निकल रहे थे, उसी दौरान उन्हें एक जगह पर सड़क के किनारे भीड़ जमा हुई देखी। जिसके बाद उन्होंने गाड़ी रुकवाई और मामला जानने की कोशिश की। उन्होंने अपनी सारी मीटिंग्स छोड़ दी और तीन घंटे से ज्यादा समय तक घायल परिवार की मदद की। यहां तक कि वह लखनऊ के केजीएमयू अस्पताल तक एंबुलेंस को एस्कॉर्ट करते हुए गए।
यह घटना सोमवार को दोपहर को उन्नाव जिले के हसनगंज पुलिस थाने के अंतर्गत आने वाले अलियारपुर पिलखाना गांव के करीब का है। गाड़ी में एक परिवार के 5 सदस्य कन्नौज जिले से बाराबंकी के देवा शरीफ की यात्रा कर रहे थे। कथित तौर पर गाड़ी डिवाइडर के ऊपर चढ़ गई और पलट गई। हादसे में मरने वाली महिला की पहचान रुखसाना नाम की स्त्री के रूप में हुई है।
उसके अलावा चार अन्य लोग वकार वारिस, अनिश, प्रवीन बानो, शहजाद घायल हो गए हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक विधायक विपिन कुमार डेविड ने कहा कि वह हैरान करने वाला था कि हादसे के बाद लोग पीड़ितों के पास खड़े थे, लेकिन कोई भी उनकी मदद के लिए आगे नहीं आया। मदद के बजाए वह लोग आपातकालीन सेवाओं को फोन लगा रहे थे।
उन्होंने कहा, “मैंने अपने गार्ड और ड्राइवर के साथ में था, मैंने देखते ही गाड़ी को रोड के साइड में लगवाई। मैंने घायलों को कुछ कपड़ों के टुकड़ों से ढका और उन्हें पानी पिलाया ताकि वह होश में आ सके। विधायक ने बताया कि पुलिस प्रतिक्रिया वाहन को घटनास्थल पर पहुंचने के लिए 45 मिनट से अधिक का समय लगा। हालांकि मौके पर मौजूद लोगों ने हमारे पहुंचने से पहले मदद की मांग की थी।
हमने घायलों को एंबुलेंस के अंदर डाला और गाड़ी को एस्कॉर्ट (कवर) करते गुए लखनऊ के केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर पहुंचे। विधायक ने कहा, “मेरे लिए वह सिर्फ इंसान थे। यह मायने नहीं रखता कि वह हिंदू या मुसलमान थे। एक इंसान होने के नाते उनकी जान बचाना मेरा कर्तव्य था। मैं क्या, मेरी जगह कोई भी होता तो इस परिस्थिति में यही करता।”