मोदी सरकार ने मंगलवार (25 जुलाई) को लोक सभा में जानकारी दी कि पिछले तीन सालों में सांप्रदायिक, जातीय और नस्ली हिंसा को बढ़ावा देने वाली घटनाओं में 41 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। गृह राज्य मंत्री गंगाराम अहिरवार द्वारा सदन में पेश की गई राष्ट्रीय क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के अनुसार साल 2014 में धर्म, नस्ल या जन्मस्थान को लेकर हुए विभिन्न समुदायों में हुई हिंसा की 336 घटनाएं हुई थीं। साल 2016 में ऐसी घटनाओं की संख्या बढ़कर 475 हो गई। अहिरवार एक गौरक्षकों द्वारा की जा रही हिंसा और सरकार द्वारा उन पर रोक लगाने से जुड़े एक सवाल का जवाब दे रहे थे।
अहिरवार ने सदन में कहा कि सरकार के पास गौरक्षकों से जुड़ी हिंसा का आंकड़ा नहीं है लेकिन सांप्रदायिक, जातीय या नस्ली विद्वेष को बढ़ाने वाली हिंसक घटनाओं का आंकड़ा मौजूद है। मंत्री अहिरवार द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार राज्यों में ऐसी घटनाओं में 49 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई। साल 2014 में राज्यों में 318 ऐसी घटनाएं हुई थीं जो साल 2016 में बढ़कर 474 हो गईं।
वहीं दिल्ली समेत सभी केंद्र शासित प्रदेशों में ऐसी घटनाओं में भारी की कमी आई। राजधानी और केंद्र शासित प्रदेशों में साल 2014 में ऐसी हिंसा की 18 घटनाएं हुई थीं लेकिन साल 2016 में ऐसी केवल एक घटना हुई।
उत्तर प्रदेश में सांप्रादायिक, जातीय और नस्ली विभेद को बढ़ावा देने वाली हिंसक घटनाओं में तेजी से बढ़ोतरी हुई। यूपी में तीन सालों में ऐसी घटनाएं 346 प्रतिशत बढ़ीं। साल 2014 में यूपी में ऐसी 26 घटनाएं हुई थीं तो साल 2016 में ऐसी 116 घटनाएं हुईं। उत्तराखंड में साल 2014 में ऐसी केवल चार घटनाएं हुई थीं लेकिन साल 2016 में राज्य में ऐसी 22 घटनाएं हुईं। यानी उत्तराखंड में ऐसी घटनाओं में 450 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।