ब्रिटेन का बैंक ऑफ इंग्लैंड लोगों के विरोध के बावजूद नोटों को बनाने में बीफ फैट का इस्तेमाल जारी रखेगा। हालांकि बैंक ऑफ इंग्लैंड के इस फैसले का देश के शाकाहारियों और कई धार्मिक समुदाय के लोगों ने विरोध किया है। इनमें हिन्दू धर्म के लोग भी शामिल हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक बैंक ऑफ इंग्लैंड ने इस मसले पर लोगों की राय मांगी है, इसमें से 88 परसेंट लोग बैंक के इस फैसले के खिलाफ हैं।
ब्रिटेन में स्थित मंदिरों में ऐसे नये नोटों के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी गई है। इंडिया टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक बैंक ने बयान जारी कर कहा है कि बीफ फैट के बदले पाम ऑयल का इस्तेमाल पर्यावरण से जुड़े खतरे को जन्म देगा। बैंक के मुताबिक नोट छापने के नये तरीके को अपनाने पर बैंक ऑफ इंग्लैंड को 10 सालों में 16.5 पाउंड खर्च करना पड़ेगा।
बैंक के इस फैसले का मतलब है कि इस साल 5 पाउंड और 10 पाउंड के नोट की छपाई जारी रहेगी। यहीं नहीं 2020 में जारी की जाने वाली 20 पाउंड का नोट भी बीफ फैट का इस्तेमाल कर ही छापा जाएगा।बैंक ऑफ इंग्लैंड के इस फैसले पर तकरीबन 3 हजार 554 लोगों ने राय दी इनमें से 88 फीसदी लोग नोट में बीफ फैट के इस्तेमाल के खिलाफ थे, जबकि 48 फीसदी लोग पाम ऑयल इस्तेमाल करने के खिलाफ थे।
रिपोर्ट के मुताबिक जानवरों की चर्बी युक्त प्लास्टिक का इस्तेमाल डेबिट कार्डस, क्रेडिट कार्ड्स, मोबाइल फोन, कॉस्मेटिक्स, साबुन, और घरों में इस्तेमाल किये जाने वाले डिटरजेंट बोतल और कार पार्टस में भी किया जाता है।