विधानसभा के भीतर विपक्षी सदस्यों के व्यवहार से आहत नेता सदन वीरभद्र सिंह ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल इतने मजबूत नहीं हैं कि अपने सदस्यों को नियंत्रित कर पाएं। अगर धूमल की लीडरशिप मजबूत होती तो सदन के भीतर भाजपा सदस्य ऐसी बदजुबानी नहीं करते।
लगातार दूसरे दिन सदन की कार्यवाही विपक्ष के हंगामे की भेंट चढ़ने के बाद वीरभद्र ने विपक्ष के नेता धूमल पर ही सवाल खड़े कर दिए। सदन की कार्यवाही स्थगित होने के बाद अपने चैंबर में पत्रकारों से बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री के सुर बेहद तीखे दिखे। विपक्ष की नारेबाजी और वेल में उतरकर पीठ को घेरने पर सीएम ने कहा कि यह बेहद आपत्तिजनक है।
विधानसभा अध्यक्ष उनकी बात मान चुके हैं, लेकिन सदन अनियंत्रित और अमर्यादित भाषा कर इस्तेमाल कर रहा है। उनसे जब यह सवाल किया गया कि क्या सदन की कार्यवाही को शांतिपूर्वक चलाने के लिए नेता प्रतिपक्ष से वार्ता नहीं हुई तो उन्होंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष जब भी मिलते हैं तो उनसे सामान्य और मीठी-मीठी बातें होती हैं।
सदन में भाजपा सदस्य गुंडागर्दी पर उतरे
सदन के भीतर उनका रवैया बदल जाता है। लगता है कि नेता प्रतिपक्ष का अपने सदस्यों पर पूरा नियंत्रण नहीं है। कड़वी बातें सदन के भीतर करते हैं। जिस भाषा का इस्तेमाल विपक्ष सदन में कर रहा था, वे सदन की मर्यादा को तार-तार करता है।
विपक्ष को वार्ता के लिए उन्होंने सदन चलने से सप्ताह भर पूर्व आमंत्रित भी किया था, लेकिन वे नहीं आए। विपक्ष अपनी बात कहने के लिए स्वतंत्र है, जिसके वे भी पक्षधर हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्ष के सदस्य भी चुन कर सदन में पहुंचे हैं, लेकिन उनका व्यवहार गुंडों वाला है। कड़वी बात कहने का शालीन तरीका होता है, लेकिन भाजपा के सदस्य गुंडों की तरह गाली देकर बात करते हैं।
उन्होंने कहा कि भाजपा सदस्यों ने सदन में गुंडागर्दी मचा रखी है। गाली गलौज की संस्कृति भाजपा की है, जिसकी उन्होंने सदन में भी कड़ी भर्त्सना की है।