वो दिन था 24 अगस्त 2016 । जब कंधे पर पत्नी की लाश ढोते दाना मांझी की तस्वीरे मीडिया में आई थीं। जिसने भी दाना मांझी की कहानी सुनी, उसकी बेचारगी और बेबसी को जाना, हर वो शख्स परेशान हुआ। दाना मांझी पिछले साल तब चर्चा में आए थे जब टीबी की वजह से इलाज के अभाव में उनकी पत्नी की मौत हो चुकी थी। बीवी का इलाज करवाने में असमर्थ दाना मांझी लाश ले जाने के लिए एंबुलेंस का खर्च दे पाने में असहाय थे।
तब उन्होंने जो किया उसने सभ्य समाज की सामूहिक चेतना को झकझोर कर रख दिया था। दाना मांझी ने अपनी पत्नी की लाश को कंधे पर रखा और 12 किलोमीटर की दूरी तय की। इस घटना के एक साल गुजर चुके हैं। हालात ने दाना मांझी की पत्नी की कुर्बीनी ले ली, इसके बाद वक्त ने करवट ली। आज दाना मांझी अपनी अच्छी खासी हैसियत रखते हैं। बढ़िया बैंक बैलेंस है। उनकी तीनों बेटियां भुवनेश्वर में एक नामी निजी स्कूल में पढ़ती हैं।
दरअसल पत्नी की मौत के बाद मिले मदद ने दाना मांझी की किस्मत बदल दी। ओडिशा सरकार ने इंदिरा आवास योजना के तहत उन्हें एक घर दिया। बहरीन के पीएम प्रिंस खलीफा बिन सलमान अल खलीफा ने उन्हें नौ लाख रुपये का चेक दिया। यही नहीं सुलभ इंटरनेशनल ने भी उनकी बेटियों के नाम फिक्स्ड डिपॉजिट करवा दिये।
द टेलीग्राफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक दाना मांझी कहते हैं कि, ‘ उस घटना के बाद मेरी ज़िंदगी में सारे अच्छे बदलाव आए, मेरी बेटियां स्कूल जा रही हैं, कई सरकारी संस्थाएं और सामाजिक संगठनों ने मेरी मदद की है।’ इंडिया टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक आज दाना मांझी के बैंक खाते में 37 लाख रुपये हैं।
इतना होने के बावजूद दाना मांझी के जीवन में उन्हें पत्नी की कमी खलती थी। लेकिन दाना मांझी ने अब इस कमी को भी दूर कर दिया है। हाल में उन्होंने तीसरी शादी कर ली है। लेकिन दाना मांझी की बेटियां आज भी उस मनहूस दिन को याद कर रो पड़ती हैं जब इलाज ना मिलने की वजह से उनकी मां की मौत हो गई थी। दाना मांझी की बेटियां अब पढ़ लिख कर अपनी जिंदगी संवारना चाहती हैं।