ट्टरपंथी बौद्ध संगठनों और कट्टरपंथी रोहिंग्या मुसलमानों के बीच कई बार खूनी झड़प हो चुकी है। मौजूदा विवाद भी 25 अगस्त को रोहिंग्या मुसलमानों के एक हथियारबंद संगठन द्वारा सुरक्षा बलों पर किए गए हमले से शुरू हुआ। रोहिंग्या मुसलमानों के अनुसार कई गांवों में सेना ने निहत्थे लोगों पर गोली चलाई। म्यांमार की सेना पर गोलीबारी में मारे गए लोगों की लाशों को जला देने के भी आरोप लगे हैं। अक्टूबर 2016 में म्यांमार के नौ सुरक्षालबों की गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी। हत्या का आरोप रोहिंग्या कट्टपंथियों पर लगा था।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार के अनुसार पिछले दो हफ्तों में करीब 1.23 लाख रोहिंग्या मुसलमान म्यांमार से पलायन कर चुके हैं। म्यांमार में 25 अगस्त को भड़की हिंसा के बाद करीब 400 लोग मारे जा चुके हैं। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार (छह सितंबर) को म्यांमार दौरे में इस मुद्दे का जल्द समाधान खोजने की उम्मीद जताई।
आखिर रोहिंग्या मुसलमानों का मुद्दा क्या है? म्यांमार में करीब 11 लाख रोहिंग्या मुसलमान रहते हैं। सबसे ज्यादा रोहिंग्या मुसलमान के राखिन प्रांत में पाए जाते हैं। रोहिंग्या मुसलमान खुद को अरब और फारसी व्यापारियों का वंशज मानते हैं। रोहिंग्या मुसलमान रोहिंग्या भाषा में बात करते हैं जो बांग्लादेश की बांग्ला से काफी मिलती-जुलती है।
म्यांमार में बौद्ध बहुसंख्यक हैं। म्यांमार में बहुत से लोग रोहिंग्या को अवैध प्रवासी मानते हैं। म्यांमार की सरकार रोहिंग्या को राज्य-विहीन मानती है और उन्हें नागरिकता नहीं देती। म्यांमार सरकार ने रोहिंग्या मुसलमानों पर कई तरह के प्रतिबंध लगा रखे हैं। ऐसे प्रतिबंधों में आवागमन, मेडिकल सुविधा, शिक्षा और अन्य सुविधाएं शामिल है। हालांकि ताजा विवाद के बाद म्यांमार की काउंसलर और नोबल पुरस्कार विजेता आंग सान सू की ने कहा है कि सरकार रोहिंग्या मुसलमानों के अधिकारों की रक्षा करेगी।
कट्टरपंथी बौद्ध संगठनों और कट्टरपंथी रोहिंग्या मुसलमानों के बीच कई बार खूनी झड़प हो चुकी है। मौजूदा विवाद भी 25 अगस्त को रोहिंग्या मुसलमानों के एक हथियारबंद संगठन द्वारा सुरक्षा बलों पर किए गए हमले से शुरू हुआ। रोहिंग्या मुसलमानों के अनुसार कई गांवों में सेना ने निहत्थे लोगों पर गोली चलाई। म्यांमार की सेना पर गोलीबारी में मारे गए लोगों की लाशों को जला देने के भी आरोप लगे हैं। अक्टूबर 2016 में म्यांमार के नौ सुरक्षालबों की गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी। हत्या का आरोप रोहिंग्या कट्टपंथियों पर लगा था।
साल 2012 में राखिन प्रांत में रोहिंग्या मुसलमानों और बौद्धों के बीच भारी हिंसा हुई थी। 2012 में हुई हिंसा में कम से कम 80 लोग मारे गए थे और करीब एक लाख पलायन कर गये थे। बौद्ध भिक्षु अशीन विराथु रोहिंग्या विरोधी भड़काऊ भाषणों के लिए जाने जाते हैं। साल 2012 में हुई हिंसा को भड़काने में उनकी अहम भूमिका मानी गयी थी।
साल 2015 में रोहिंग्या मुसलमानों का एक बार फिर बड़े पैमाने पर पलायन शुरू हुआ। एक रिपोर्ट के अनुसार करीब 100 रोहिंग्या पलायन के दौरान मारे गए। ज्यादातर रोहिंग्या मुसलमान बांग्लादेश, भारत, इंडोनेशिया, मलेशिया और थाईलैंड में शरणार्थी के तौर पर रह रहे हैं। भारत सरकार देश में रह रहे रोहिंग्या मुसलमानों को वापस उनके देश भेजने जा रही है। हालांकि ये मामला अब सुप्रीम कोर्ट में है। सर्वोच्च अदालत ने इस मामले में केंद्र सरकार को जवाबतलब किया है। वीडियो सौजन्य – बीबीसी