मुंबई की 13 वर्षीय रेप पीड़िता को सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को 31 सप्ताह के गर्भ को गिराने की अनुमति दी है। पीड़िता को गुरुवार को अस्पताल में भर्ती कराया जायेगा और 8 सितंबर को उसका गर्भपात होगा।
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने जे जे अस्पताल के चिकित्सकों की रिपोर्ट को देखने के बाद पीड़िता को गर्भपात करने की अनुमति दी। उन्होंने कहा कि एक 13 साल की पीड़िता कैसे मां बन सकती है। कोर्ट ने ये आदेश पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट देखने के बाद दिया है।
इससे पहले 28 जुलाई को शीर्ष अदालत ने मेडिकल आधार पर एक याचिका को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने इससे पहले की सुनवाई में पीड़िता और उनकी मां को 1 लाख रुपए की आर्थिक मदद करने का आदेश दिया था। आरोपी को मुंबई के कांदिवली में चारकोप से गिरफ्तार किया गया था और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और लैंगिक अपराध (पीओसीएसओ) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था।
गौरतलब है कि बच्ची के साथ उसके पिता के बिजनेस पार्टनर ने छह महीने पहले रेप किया था। आरोपी पीड़िता के परिवार के साथ ही रहता था। अभी आरोपी मुंबई पुलिस की हिरासत में है। परिजनों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका डालकर गर्भपात की अनुमति मांगी थी।
अगस्त महीने में पीड़िता के परिजन उसे डॉक्टर के पास लेकर गए कि अचानक पीड़िता का वजन कैसे बढ़ गया। जब जांच हुई तो पता लगा कि पीड़िता 27 सप्ताह की गर्भवती है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि तब तक पीड़िता ने अपने यौन शोषण के बारे में अपने परिजनों को नहीं बताया था।
बता दें कि मुंबई निवासी पीड़िता ने गर्भ का गर्भपात कराने की अर्जी दाखिल की थी। भारतीय कानून के मुताबिक 20 माह से ज्यादा के गर्भ का गर्भपात उसी स्थिति में होता है अगर मां को जान का खतरा हो।