लखनऊ: रोहिल्ला राजवंश के महल में बनाई गई सहारनपुर जिला जेल को खाली करने का नोटिस आ चुका है। पुरातत्व विभाग ने जेल की इमारत को पुरातात्विक धरोहर बताते हुए यह नोटिस जारी किया है। पुरातत्व विभाग के इस नोटिस ने जेल महकमे में हड़कंप मचा दिया है। अधिकारियों को समझ नहीं आ रहा कि वे जेल में बंद कैदियों को कहां शिफ्ट करें। सीनियर जेल सुपरीटेंडेंट ने शासन को इसकी जानकारी देते हुए दिशा-निर्देश मांगे हैं, कि वे अब क्या करें। आईजी जेल ने नोटिस मिलने की पुष्टि की है।
वर्तमान की सहारनपुर जिला जेल करीब 200 साल पहले रोहिल्ला राजवंश का किला हुआ करता था। लेकिन, सन् 1868 में इस महल को जेल बना दिया गया। उस वक्त जेल की क्षमता 232 कैदियों की थी। वर्ष 1920 में भारतीय पुरातत्व विभाग ने इस जेल को संरक्षित स्मारक घोषित कर दिया। हालांकि, इसे दरकिनार करते हुए तत्कालीन प्रशासन ने जेल में कुछ निर्माण कराकर इसकी क्षमता को बढ़ाते हुए 405 कैदी कर दिया गया। वर्ष 2014 में पुरातत्व विभाग ने जेल के कुछ हिस्सों में खोदाई की थी। इस खोदाई में पुरातात्विक महत्व की कई चीजें निकली थीं। जेल के गेट पर अब भी पत्थर लगा है, जिसमें रोहिल्ला वंश के बारे में जानकारी लिखी है। पुरातत्व विभाग ने जेल में कोई नया निर्माण करने पर रोक लगा रखी है।
सैकड़ों साल पुराने इस किले में फिलवक्त 530 बंदियों/कैदियों को रखने के लिये नौ बैरक हैं। बाल किशोर जेल के अलावा महिला जेल भी रोहिल्ला किले में ही स्थित हैं। हालांकि, इसकी क्षमता 530 के मुकाबले फिलवक्त जेल में 1690 बंदी/कैदी बंद हैं। बीते दिनों पुरातत्व विभाग ने सीनियर जेल सुपरीटेंडेंट को नोटिस भेजकर जेल कैंपस को पुरातात्विक धरोहर बताते हुए इसे जल्द से जल्द खाली करने का निर्देश दिया।
सुपरीटेंडेंट वीरेश राज शर्मा ने यह नोटिस डीआईजी जेल मेरठ रेंज शशि शर्मा को भेज दिया। उन्होंने शासन को पत्र भेजकर जिला जेल को दूसरी जगह बनवाकर इसे नये भवन में शिफ्ट करने की इजाजत मांगी है। आईजी जेल पीके मिश्र ने बताया कि पुरातत्व विभाग के नोटिस के बारे में शासन को जानकारी दे दी गई है। आदेश मिलने पर नई जेल बनाने की कवायद शुरू हो सकेगी।