मुंबई: महाराष्ट्र में BJP के नेतृत्व वाली सरकार के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हाल ही में अपने ‘कलहप्रिय’ साझीदार शिवसेना पर ‘दोहरी भूमिका’ (सहयोगी तथा विपक्षी दल) निभाने का आरोप लगाया था, जिसके बाद शिवसेना ने बिल्कुल विपक्षी दल की तरह हरकत करते हुए अपने पार्टी कार्यकर्ताओं में एक बुकलेट बांटी है, जिसका शीर्षक है ‘घोटालेबाज़ BJP’
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने मुंबई स्थित अपने आवास ‘मातोश्री’ में बुधवार को आयोजित बुकलेट वितरण कार्यक्रम की खुद अध्यक्षता की। शिवसेना की इस बुकलेट में BJP के उन नेताओं के नाम हैं, जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं. इन नेताओं में ज़मीन हड़पने का आरोप झेल रहे पूर्व मंत्री तथा वरिष्ठ BJP नेता एकनाथ खड़से, स्कूलों के लिए फायरटेंडर खरीदने में अनियमितताओं के आरोपों का सामना कर रहे शिक्षामंत्री विनोद तावड़े तथा तुअर दाल की खरीद में भ्रष्टाचार का आरोप झेल रहे खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री गिरीश महाजन शामिल हैं।
बुकलेट में अन्य मंत्रियों – विष्णु सरवा, प्रवीण दारेकर, जयकुमार रावल, चंद्रशेखर बावनकुले, रजित पाटिल तथा संभाजी पाटिल निलंगेकर – के नाम भी हैं, और उनके खिलाफ लगे आरोपों की भी जानकारी दी गई है. शिवसेना ने बुकलेट में आरोप लगाया है कि शिवसेना के नियंत्रण वाली वृहनमुंबई म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन (BMC) द्वारा ब्लैकलिस्ट की गई कंपनियों को मुंबई तथा नागपुर में ठेके दिए गए हैं, जहां स्थानीय निकायों पर अब BJP का नियंत्रण है। बुकलेट में इसके अलावा ‘राष्ट्रीय स्तर के घोटालों’ का ज़िक्र करते हुए केंद्र में BJP के नेतृत्व वाली पिछली सरकार के कार्यकाल में हुआ ‘ताबूत घोटाला’ भी दर्ज है, और अन्य राज्यों से भी बीएस येदियुरप्पा जैसे नेताओं का ज़िक्र है, जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे।
शिवसेना इस वक्त महाराष्ट्र तथा केंद्र की BJP सरकारों में शामिल है, लेकिन उनकी ओर से विरोध करने वाली गतिविधियां भी लगातार जारी हैं। आएदिन वह BJP पर हमले बोलती रहती है, और अब यह बुकलेट पार्टी कार्यकर्ताओं को दिया गया संदेश मानी जा रही है कि वर्ष 2019 के चुनाव – लोकसभा तथा विधानसभा – प्रतिद्वंद्वी के तौर पर लड़े जाएंगे।
वैसे, इसी साल BMC के चुनाव दोनों पार्टियों ने अलग-अलग लड़े थे, और उस दौरान एक-दूसरे के खिलाफ काफी कड़वाहट उछाली गई थी. पिछले ही सप्ताह मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शिवसेना से कहा था कि ‘वह सत्ताधारी दल और विपक्ष – दोनों भूमिकाएं एक साथ नहीं निभा सकती…’ उन्होंने कहा था कि उद्धव ठाकरे को ‘गठंबधन पर फैसला कर लेना चाहिए…’
इसके जवाब में शिवसेना ने अपनी पत्रिका में कहा था, ‘साथ ले लीजिए, या छोड़ दीजिए’। पत्रिका में कहा गया था कि अगर BJP को लगता है कि शिवसेना का साथ निभाना उनके लिए मुश्किल हो गया है, तो वह अकेले आगे बढ़ जाने के लिए स्वतंत्र हैं।