नई दिल्ली : बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) में एक बार फिर से सुर्खियों में है। इस बार बीएचयू, राजनीतिक विज्ञान के पेपर में अपने छात्रों से पूछे गए सवाल की वजह से चर्चा में हैं। दरअसल बीएचयू में इन दिनों सत्र परीक्षाएं आयोजित हो रही हैं। जिसमें एमए राजनीतिक विज्ञान के फर्स्ट सेमेस्टर के एक पेपर में उनसे भारतीय जनता पार्टी पर एक निबंध लिखने को कहा गया था।
बता दें कि बीएचयू के राजनीतिक विज्ञान के दूसरे पेपरों में भी ऐसे कई सवाल पूछे गए जिन पर अब बवाल हो रहा है। ‘प्राचीन और मध्यकालीन भारत में समाजिक और राजनीतिक विचार’ के नाम से आए एक पेपर में छात्रों से दो ऐसे ही सवाल पूछे थें जिनसे छात्र हैरान थे। पहला सवाल था कि कौटिल्य के अर्थशास्त्र में जीएसटी के स्वरूप पर एक निबंध लिखिए, जबकि दूसरा सवाल था कि वैश्वीकरण के मनु पहले भारतीय चिंतक थे, इसपर चर्चा कीजिए।
राजनीति विज्ञान के छात्रों से जब बात की गई तो उन्होंने कहा कि इन पेपरों को प्रोफेसर कौशल किशोर मिश्र की सलाह पर तैयार किए गए हैं। प्रोफेसेर मिश्र संघ का करीबी भी माना जाता है। छात्रों ने बताया कि प्रोफेसर मिश्र बीते दो सालों में विभाग में लगातार ऐसे सेमिनारों को आयोजन कराते रहे हैं जिनमें संघ से जुड़े नेता को बोलने के लिया बुलाया जाता है। प्रोफेसर मिश्र भी इस बात को स्वीकार करते हैं कि वे आरएसएस के सदस्य है लेकिन वे ये भी कहते हैं उनकी व्यक्तिगत विचारधारा का छात्रों से कोई लेना देना नहीं हैं।
छात्रों ने जब जीएसटी पर चाणक्य के विचार को कोर्स से बाहर होने का आरोप लगाया तो प्रोफेसर मिश्र ने कहा कि क्या हुआ कि वह प्रश्न कोर्स में नहीं है। यह हमारी जिम्मेदारी है कि छात्रों को नई नई चीजें ढूढ़ कर पढ़ाई जाए। प्रोफेसर मिश्र ने कहा कि इस पेपर को तैयार करने में कोई गलती नहीं हुई है। प्रोफेसर मिश्रा का कहना है कि कौटिल्य का अर्थशास्त्र पहली भारतीय किताब है जोकि आज के जीएसटी के विचार के बारे में बताती है। कौटिल्य ऐसे अर्थशास्त्री थे जिन्होंने देश की अर्थव्यवस्था के एकीकरण की बात की थी।