भोपाल: मध्य प्रदेश में पांचवीं से आठवीं तक के 80 फीसदी से ज्यादा छात्र ढंग से हिंदी नहीं पढ़ पाते, जबकि 70 फीसदी से ज्यादा छात्र 1 से 9 तक की गिनती गिन पाने में अक्षम हैं। राज्य में शिक्षा की बदहाली कि ये पोल हाल ही में विधानसभा में पेश की गई कैग रिपोर्ट से खुली है।
कैग की ये रिपोर्ट मध्य प्रदेश में शिक्षा की खोखली इमारत दिखाती है और बताती है कि कैसे पहली से लेकर माध्यमिक स्तर के छात्रों का न तो अक्षर ज्ञान ठीक है ना ही भाषा ज्ञान।
इस रिपोर्ट के मुताबिक 5वीं तक के छात्रों में 17 प्रतिशत बच्चे ही हिंदी वर्णमाला की पहचान कर सकते हैं। 23 फीसदी छात्र ही गणित में 1 से 9 तक के अंक पहचान सकते हैं। 25 प्रतिशत छात्र हिंदी के शब्द पढ़-लिख सकते हैं। 24 फीसदी छात्र अंग्रेज़ी के शब्द पढ़-लिख सकते हैं। 8वीं तक के 10 प्रतिशत छात्र ही हिंदी वर्णमाला की पहचान कर पाते हैं। 16 प्रतिशत छात्र ही 1 से 9 तक अंक पढ़ पाते हैं। 28 फीसदी छात्र अंग्रेज़ी के सामान्य शब्द पढ़-लिख पाते हैं।
2010 से 2016 के बीच के ये आंकड़े साफ तौर पर बताते हैं कि 5वीं से 8वीं तक के अधिकांश बच्चे ना तो हिंदी ढंग से पढ़ पाते हैं, ना ठीक से गणित। सालों से सत्ता में काबिज बीजेपी इसमें भी कांग्रेस की गलती ढूंढ लाई है।
बीजेपी प्रवक्ता राहुल कोठारी ने कहा कांग्रेस के वक्त आरटीई (शिक्षा का अधिकार) पास करने का माध्यम बन गया था। हम सुधार कर रहे हैं। शिक्षकों की भी नियुक्ति हो रही है। जरूरी संसाधन जुटाए जा रहे हैं, जल्द ही बेहतर परिणाम दिखेंगे।
2016-17 की शुरुआत में शिक्षा विभाग ने छात्रों की बुनियादी योग्यताओं को जांचने के लिए बेसलाइन टेस्ट आयोजित किया था। इसके बाद सभी प्राइमरी ओर मिडिल स्कूलों में सुधार के लिए क्लास भी ली गई। इसके बाद एक ओर एंडलाइन टेस्ट किया तब जाकर ये चौंकाने वाले आंकड़े नजर आए।
ये हालात तब हैं, जब रिपोर्ट के मुताबिक 2010 से 16 के बीच राज्य और केंद्र की सरकार ने मध्य प्रदेश में शिक्षा पर तकरीबन 18 हजार करोड़ खर्च करने का दावा किया।
कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा ने इस मुद्दे पर सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि 2 साल पहले प्रधानमंत्री की मौजूदगी मे 250 करोड़ खर्च करके विश्व हिन्दी सम्मेलन करवाया था सीएम ने। बच्चे हिन्दी नहीं पढ़ पा रहे, सरकार सिर्फ शाब्दिक जुगाली कर रही है, कैग ने जुमले पर मुहर लगा दी।
वैसे नाम के लिए राज्य सरकार शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के नाम पर प्रतिभा पर्व, शाला सिद्धि, स्मार्ट क्लास, हेड स्टार्ट जैसी योजनाएं चला रही हैं।