उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में देवबंद स्थित इस्लामिक शिक्षण संस्था दारुल उलूम बेहद अजीब तर्क देते हुए एक बेहद हैरान करने वाला फतवा जारी किया है। फतवा जारी करते हुए दारुल उलूम ने कहा कि “मुस्लिम लोग अपने बेटे और बेटियों का निकाह बैंक में काम करने वाले घरों में न करें”। इस फतवे से अब एक नई बहस छिड़ चुकी है।
इस बेतरतीब फतवे के पीछे की वजह बताते हुए दारूल उलूम की दलील है कि “बैंकिंग प्रणाली ब्याज पर आधारित है। जिसे इस्लाम में हराम माना गया है”। बता दें कि, इफ्ता की वेबसाइट पर एक ऑनलाइन सवाल के जवाब में यह फतवा जारी किया गया है।
जानकारी के लिए बता दें कि इफ्ता की वेबसाइट एक व्यक्ति ने सवाल पूछा था कि “शादी के लिए ऐसे प्रस्ताव आ रहे हैं जिनके मुखिया बैंक में नौकरी करते हैं। बैंकिंग प्रणाली ब्याज पर आधारित है। जिसे इस्लाम में हराम माना गया है। क्या ऐसे परिवार में शादी की जा सकती है”?
इस सवाल के जवाब में इफ्ता विभाग ने 3 जनवरी को कहा, “ शरीयत में ब्याज पर पैसा लेना और देना दोनों हराम है। इसलिए ऐसे परिवार में निकाह नहीं करना चाहिए।”
गौरतलब है कि, इससे पहले दारुल उलूम ने महिलाओं के पहनावे को लेकर फतवा जारी किया था। दारुल उलूम के मुफ्तियों के मुताबिक मुस्लिम महिलाओं के चुस्त व चमक-दमक वाले बुर्के पहनने को इस्लाम में सख्त गुनाह और नाजायज बताया गया है।