आम जनता को न्याय देने वाला जज खुद इंसाफ पाने के लिए अधिकारियों के चक्कर काट रहा है। हम बात कर रहे हैं चारा घोटाले से जुड़े मामले में आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव को सजा सुनाने वाले जज शिवपाल सिंह की।
रांची सीबीआई की विशेष अदालत के जज शिवपाल को सालों पुराने मामले में न्याय नहीं मिल रहा है और उन्हें प्रशासनिक अधिकारियों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। जज और उनका परिवार कई साल पुराने मामले में न्याय पाने के लिए काफी प्रयास कर रहे हैं, लेकिन उनके सारे प्रयास मिट्टी में मिलते ही दिख रहे हैं।
सीबीआई जज मूल रूप से उत्तर प्रदेश के जनपद जालौन गांव के निवासी हैं और वे फिलहाल अपनी पैतृक जमीन के बीच से चक रोड निकल जाने से काफी परेशान हैं। इसके लिए वह कई बार अधिकारियों के चक्कर लगा चुके हैं, लेकिन उनकी गुहार की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा है। अधिकारियों की उदासीनता के कारण शिवपाल सिंह और उनका परिवार काफी परेशान है।
आपको बता दें कि यह मामला साल 2006 का है। शिवपाल के भाई सुरेंद्र पाल सिंह का कहना है कि पूर्व प्रधान ने अपने कार्यकाल के दौरान बिना किसी अधिकार के उनकी जमीन पर चकरोड निकाल दी थी। तभी से ही शिवपाल और उनका परिवार अधिकारियों के चक्कर काट रहा है।
हालांकि मीडिया में यह बात सामने आने के बाद जालौन उप जिलाधिकारी भैरपाल सिंह ने कहा है कि उन्हें मामले की जानकारी नहीं थी और अब वह इसे लेकर उचित कार्रवाई करवाएंगे।
बता दें कि जज शिवपाल सिंह ने लालू यादव को भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 420, 467, 471एवं 477ए के तहत जहां साढ़े तीन वर्ष कैद एवं पांच लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनायी है। वहीं उन्हें भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (पीसी एक्ट) की धारा 13 (2) के तहत 13(1) सी एवं डी के आधार पर दोषी करार देते हुए भी अलग से साढ़े तीन वर्ष की कैद एवं पांच लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनायी।
अदालत ने बाद में स्पष्ट किया कि लालू की दोनों सजायें एक साथ चलेंगी। जुर्माना न अदा करने की स्थिति में लालू यादव को छह माह अतिरिक्त जेल की सजा काटनी होगी।