नई दिल्लीः पूर्व केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के राज्य सभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने शुक्रवार (2 फरवरी) को राज्य सभा में गाय संरक्षण बिल 2017 पेश किया और गोहत्या के दोषियों के लिए फांसी की सजा देने की मांग की। सदन में बिल पेश करते हुए स्वामी ने कहा कि मुगल काल में भी बहादुर शाह जफर ने गो-हत्या पर प्रतिबंध लगाया था। उन्होंने कहा कि ब्रिटिश काल आने के बाद ही देश में गो-हत्या का चल बढ़ा। स्वामी ने सदन को बताया कि आधुनिक विज्ञान में यह बात साबित हो चुकी है कि गाय से मिलने वाले उत्पादों के कई वैज्ञानिक पहलू हैं। उन्होंने कहा कि गौमूत्र का इस्तेमाल दवा बनाने में होता है। अमेरिका ने इसके लिए पेटेंट भी हासिल कर लिया है जबकि हमारे ऋषिमुनियों ने हजारों साल पहले ही इस बारे में बताया था।
बिल के प्रावधानों की चर्चा करते हुए स्वामी ने कहा कि हमें हरेक गांव में गौशाला की स्थापना करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि चूंकि गोमांस निर्यात की अत्यधिक मांग है, इसलिए इस धंधे में शामिल लोगों को कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए। इसमें अर्थदंड से लेकर फांसी की सजा तक होनी चाहिए। स्वामी के प्रस्ताव पर तेलंगाना से कांग्रेस के सांसद आनंद भास्कर ने स्वामी पर तंज कसा कि हमें गाय की सेहत पर ध्यान जरूर देना चाहिए लेकिन गाय को राजनीतिक पशु नहीं बनाना चाहिए।
सीपीआई के सांसद डी राजा ने स्वामी के बिल का विरोध किया और कहा कि आज के दौर में गाय का इस्तेमाल एक राजनीतिक हथियार के रूप में किया जा रहा है। इसके जरिए समाज में नफरत और लोगों को मारा जा रहा है। उन्होंने कहा कि स्वामी को इस बात पर भी सोचना चाहिए। डी राजा ने सदन से पूछा कि क्या स्वामी के बिल से सरकार सहमत है या असहमत, इस पर जवाब देना चाहिए। राजा ने कहा कि हाल के दिनों में गोहत्या के आरोप में दलितों, मुस्लिमों को हिंसक भीड़ का निशाना बनना पड़ा है।
डी. राजा ने बिल की चर्चा करने के दौरान महात्मा गांधी का नाम लाने पर स्वामी की आलोचना की और कहा कि आप गाय के नाम पर देश को बांटना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि अगर यह बिल पारित होता है तो देश को कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने भारत माता के नाम पर इस बिल को खारिज करने का अनुरोध सदन से किया।