खंडवा : मध्यप्रदेश के खंडवा में कालीका माता मंदिर की आस्था दूर दूर तक फैली है। इस मंदिर का इतिहास करीब इकतीस वर्ष पुराना है। यह की मान्यत है की जो भी भक्त यह कोई मनोकामना लेकर आते उनकी मनोकामना जल्द ही पूरी हो जाती है। इस मंदिर में कोई अलग प्रसाद या सामग्री नहीं चढ़ाना पढ़ता है। सिर्फ मन्नत पूरी होने पर मंदिर में माथा टेकने आना पड़ता है। जो भक्त मंदिर नहीं आ पाते यदि वह माता की तस्वीर के सामने अपने घर पर या जहा भी माता की तस्वीर हो उस के सामने अपनी अरदास कर ले कुछ दिनों में उसके बिगड़े काम बनने लगते है। यहां शहर के साथ साथ आसपास के लोग भी दर्शन को करने आते है।
इस मंदिर की स्थापना स्थानीय लोगो ने की है। तभी से यही मान्यता मंदिर से जुड़ गई है कि यह माता जी से जो मांगो सभी मिलता हैं । मंदिर में स्थापित माँ काली की मुर्ति का स्वरूप देखते ही बनता है। साल में चार बार विशेष अवसरों पर माता का अलग अलग तरह से श्रृगार होता है। जिसमे हैदराबाद व नासिक से झरबेरा,डज गुलाब और सुपर गुलाबा की फुल व मालाए आती है।विभिन्न प्रकार की विशेष पत्तयों से माता के दरबार की सजावट होती है। गेंदे के दो कुंटल फूलों से मंदिर की सज सज्जा की जाती है।
मंदिर के महंत अजय सोहनी का कहना है। मंदिर के स्थापना दिवस पर विशाल भंडारे का आयोजन होता है। सुबह से पंडो द्वारा महा यज्ञ किया जाता है। मंदिर के पास स्थित कन्या शाला की छात्राओं को कन्या भोज कराया जाता है। उसके उपरांत पुरा शहर भंडारे का प्रशाद ग्रहण करता है। इसमें सभी तबके के लोग एक सामान रूप से भंडारे में आकर अपना सहयोग प्रदान करते है। भंडारे के बाद महा काकड़ा आरती होती है। इस दिन माता का विशेष श्रृंगार किया जाता है।
रिपोर्ट @तुषार सेन